Lok Sabha Election Results 2024: UP में कैसे पलटी बाजी, सपा की इस 'डबल स्ट्रैटेजी' ने बिगाड़ा BJP का खेल? समझिए कैसे
Lok Sabha Election Results 2024: समाजवादी पार्टी को 2014 में महज 5 सीटें मिली थीं. इसकी वजह से पार्टी गर्क में चली गई थी. मगर एक बार फिर से उसने खुद को खड़ा कर लिया है.
Lok Sabha Election Results: लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद हर कोई कांग्रेस के पुनरुत्थान को लेकर चर्चा कर रहा है. मगर इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि समाजवादी पार्टी ने भी खुद को फिर जीवित किया है. दरअसल, चुनावी नतीजों के बाद समाजवादी पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. सपा को यूपी की 37 सीटों पर जीत मिली है. पार्टी ने अवध से लेकर पूर्वांचल तक सीटों को जीता है.
हालांकि, अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर समाजवादी पार्टी ने ऐसा क्या किया, जिसकी वजह से उसे इतनी ज्यादा सीटों पर जीत मिली. वह कौन सी रणनीति थी, जिसके जरिए सपा ने बीजेपी का चुनावी रथ यूपी में रोक दिया. यूपी में मिली शिकस्त के चलते ही बीजेपी कहीं न कहीं बहुमत से दूर रही है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि किस तरह से सपा ने 2019 में मिली 5 सीटों से 2024 में मिली 37 सीटों तक का सफर किया है.
टिकट बांटने की रणनीति
लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों को चुनते समय समाजवादी पार्टी ने बहुत अच्छे तरीके से टिकट बांटे. सपा ने गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवारों को खूब टिकट दिए. सिर्फ पांच यादव उम्मीदवारों को टिकट दिया गया, जो अखिलेश यादव परिवार से ही थे. 27 गैर-यादव ओबीसी; चार ब्राह्मण, दो ठाकुर, दो वैश्य और एक खत्री समेत 11 उच्च जाति; 4 मुस्लिम प्रत्याशियों के अलावा 15 दलित उम्मीदवारों को टिकट दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सपा नेता ने कहा, "हमारी पार्टी को यादवों और मुसलमानों के समर्थन का भरोसा था, लेकिन हम इन दो समुदायों से परे अपना आधार बढ़ाना चाहते थे और गैर-यादव ओबीसी और दलितों तक पहुंचना चाहते थे, जो अब हुआ लगता है."
चुनाव प्रचार का बदला स्टाइल
टिकट बांटने की कला ही एकमात्र रणनीति नहीं है, जिसने सपा को जीत दिलाई है, बल्कि जिस तरह से चुनाव प्रचार किया गया. उसने भी कहीं न कहीं जीत सुनिश्चित की है. बीजेपी ने जहां बड़ी और भव्य रैलियों पर फोकस किया, वहीं सपा-कांग्रेस ने मिलकर भव्यता के बजाय लोगों और स्थानीय समुदायों तक पहुंचने पर जोर दिया.
इसका उदाहरण ये है कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रायबरेली और अमेठी में जमकर प्रचार किया, लेकिन उन्होंने कोई बड़ी रैली नहीं की. इसके बजाय वह रोजाना 20 नुक्कड़ सभा करती हुई नजर आईं, जो सुबह से लेकर देर शाम तक चलती थी. सपा के प्रत्याशी भी बड़ी रैलियों के बजाय लोगों से मिलने को ज्यादा तवज्जो दे रहे थे.
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