LS Ethics Panel Recommendation: लोकसभा की आचार समिति ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के साथ अपने 'लॉग-इन क्रेडेंशियल' साझा करने के मामले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा को दोषी ठहराने के लिए अन्य राष्ट्रों की साइबर एजेंसियों और प्रतिनिधियों (स्टेट एक्टर्स) और गैर-सरकारी संगठनों और कंपनियों से जुड़े साइबर अपराधियों (नन-स्टेट एक्टर्स) से भारत के समक्ष खतरों का हवाला दिया है. साथ ही कहा है कि वह (हीरानंदानी) दुबई के अधिकृत निवासी हैं और उनके करीबी रिश्तेदार विदेशी नागरिक हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, समिति ने अपने निष्कर्ष में कहा है, ''इससे विदेशी एजेंसियों के लिए संवेदनशील सामग्री के लीक होने का गंभीर खतरा पैदा होता है.'' समिति ने गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का हवाला देते हुए रिकॉर्ड किया है कि जुलाई 2019 और अप्रैल 2023 के बीच मोइत्रा का पोर्टल संयुक्त अरब अमीरात से 47 बार संचालित किया गया था.
कमेटी ने बताया इस तरह की घटना से कैसे हो सकता है खतरा
समझा जाता है कि बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने गुरुवार (9 नवंबर) को मंजूर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह की घटना से प्रणाली (सिस्टम) गंभीर साइबर हमलों की जद में आ सकती है और संभावित रूप से ऐसी घटना प्रणाली को पूरी तरह से अक्षम कर सकती है, जिससे भारत की संसद का कामकाज बाधित हो सकता है. सूत्रों ने कहा कि ऐसे तत्व प्रणाली में ऐसी चीजें डाल सकते हैं जो झूठे दस्तावेज या फर्जी आख्यान के जरिये राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं.
समिति को बताया गया कि पोर्टल पर सांसदों को पहले से ही भेजे गए मसौदा विधेयक सहित कई दस्तावेज उपलब्ध होते हैं जो सार्वजनिक डोमेन में नहीं होते हैं. गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में पोर्टल पर पहले से अपलोड किए गए 3 तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध और दिवाला सहित 20 विधेयकों का हवाला दिया था.
सूत्रों ने मसौदा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर परिसीमन विधेयक, 2019 को पहले ही प्रसारित कर दिया गया था और इससे ऐसी संवेदनशील सामग्री के लीक होने की संभावना है, जिसका इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा को क्षति पहुंचाने के लिए शत्रु तत्वों की तरफ से किया जा सकता है.
'हीरानंदानी से अवैध पेशकश स्वीकार करने के आरोप स्पष्ट'
सूत्रों ने कहा कि समिति बहुमत के साथ इस निष्कर्ष पर पहुंची कि हीरानंदानी से 'अवैध पेशकश' स्वीकार करने के आरोप स्पष्ट रूप से स्थापित हो गए हैं, यह उनके स्वयं के बयान और मीडिया में उनकी टिप्पणियों से पता चलता है.
हालांकि, इन आरोपों के संदर्भ में कि मोइत्रा ने व्यवसायी हीरानंदानी से नकदी भी स्वीकार की थी. समिति ने स्वीकार किया है कि उसके पास आपराधिक जांच करने और धन के लेन-देन का पता लगाने के लिए तकनीकी साधन और विशेषज्ञता नहीं है.
सरकार कर सकती है किसी 'लेन-देन' की जांच- समिति की सिफारिश
सूत्रों ने समिति की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि यह निश्चित रूप से केंद्र सरकार के संस्थानों का काम है. समिति ने सिफारिश की है कि सरकार की ओर से किसी भी 'लेन-देन' की समयबद्ध तरीके से जांच की जा सकती है.
समिति ने की मोइत्रा को सदन से बर्खास्त करने की सिफारिश
मोइत्रा ने समिति के समक्ष और बाहर अपनी टिप्पणियों में यह स्वीकार तो किया है कि हीरानंदानी ने उनके लॉग-इन क्रेडेंशियल का इस्तेमाल किया था, हालांकि उन्होंने इसके लिए किसी प्रकार के 'लेन-देन' को खारिज किया है. लोकसभा की आचार समिति ने गुरुवार को मोइत्रा को सदन से बर्खास्त करने की सिफारिश की.
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