नई दिल्ली: त्वरित तीन तलाक़ खत्म करने के लिए लाया गया बहुप्रतीक्षित बिल आज लोक सभा में पारित हो गया. सरकार और विपक्ष की तरफ से बिल के समर्थन और विरोध में अपने अपने दावे रखे गए. सरकार ने बिल का ज़ोरदार समर्थन किया तो कांग्रेस, बीजेडी, आरजेडी और लेफ्ट समेत कई विपक्षी दलों ने बिल के कई प्रावधानों का जोरदार विरोध भी किया. लेकिन आज हुई बहस में चर्चा के केंद्र में वो दल या नेता नहीं हैं जिन्होंने अपनी बात रखी बल्कि वो दल है जिसने अपनी बात नहीं रखी. सुनने में शायद अजीब लगे लेकिन ये सच है.
आज की पूरी बहस के दौरान जिस एक दल के रुख़ पर सबकी नजर थी वो है ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस. उम्मीद थी कि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों से जुड़े मसलों पर ज़ोर शोर से अपनी बात रखने वाली ममता बनर्जी की पार्टी तीन तलाक़ जैसे अहम मुद्दे पर अपनी बात रखेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आमतौर पर हर मुद्दे पर मोदी सरकार का विरोध करने वाली पार्टी आज खमोश रही.
रोचक बात ये रही कि बिल पर बहस शुरू होने के बाद काफी देर तक लोक सभा में पार्टी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय के अलावा कुछ अन्य पार्टी सांसद सदन में मौजूद भी रहे. लोक सभा में संख्या बल के हिसाब से चौथे नम्बर की इस पार्टी को किसी बिल पर बोलने का मौका भी चौथे नम्बर पर ही मिलता है. यानि उन्हें साधारणतया एआईडीएमके के बाद बोलने का मौका मिलता है.
बहस के दौरान जब एआईडीएमके सांसद के बोलने का वक़्त आया तबतक सदन में सुदीप बंदोपाध्याय और कुछ अन्य सांसद मौजूद थे लेकिन उनका नम्बर आता इसके पहले ही वो सदन छोड़ कर चले गए. बहस के दौरान तृणमूल कांग्रेस के किसी सांसद का नाम भी नहीं पुकारा गया. एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक दरअसल पार्टी ने बहस में भाग लेने के लिए नोटिस भी नहीं दिया था.
हालांकि जब इस बारे पार्टी के सांसदों से पूछा गया तो उन्होंने औपचारिक तौर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. नेताओं ने सिर्फ़ ' नो कमेंट ' कह कर किनारा कर लिया.