नई दिल्ली: 17 में लोकसभा के पहले सत्र में ही रोजाना नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. गुरुवार को भी ऐसा ही हुआ जब रिकॉर्ड संख्या में सांसदों ने शून्यकाल के दौरान अपने मुद्दे सदन के समक्ष उठाए. इसके साथ ही सत्रहवीं लोकसभा के मौजूदा सत्र में पिछले 20 साल में सबसे ज्यादा कामकाज हुआ है. पीआरएल लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार तक निचले सदन में 128 प्रतिशत कामकाज हुआ है.


162 सांसदों ने सदन में उठाया अपना मुद्दा
गुरुवार को शून्यकाल के दौरान 162 सांसदों ने अपने अपने मुद्दे उठाए. जो मुद्दे उठाए गए उनमें से ज्यादातर सांसदों के अपने संसदीय क्षेत्र से जुड़े हुए थे. मसलन बिहार के पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के सांसद रामकृपाल यादव ने अपने क्षेत्र में एक ट्रॉमा सेंटर खोलने की मांग की. आंध्र प्रदेश के राजामुंदरी से वाईएसआर कांग्रेस के सांसद ने अपने क्षेत्र में खेलों की सुविधा को बढ़ाने का मामला उठाया. इसी तरह बारी बारी से सभी सांसदों ने सदन में अपनी बात रखी.


दो दिनों से शून्यकाल हो रहा था स्थगित
दरअसल 2 दिनों से लोकसभा में शून्यकाल स्थगित करना पड़ा क्योंकि बजट से जुड़ी अनुदान मांगों पर सदन में जरूरी चर्चा हो रही थी. लिहाजा मंगलवार और बुधवार को सदन में शून्यकाल स्थगित कर दिया गया था. ऐसे में कई सांसदों ने मांग की थी कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाए. चूंकि गुरुवार को शाम 6:00 बजे वित्त विधेयक पारित होते ही बजट पारित होने की प्रक्रिया पूरी हो गई तो उसके बाद शून्यकाल शुरू करने का फैसला लिया गया. शून्यकाल रात 10:48 बजे तक यानि 4 घंटे 48 मिनट तक चला जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.


1960 के दशक में विकसित हुई शून्यकाल की प्रथा
लोकसभा में आमतौर पर प्रश्नकाल के बाद का समय शून्यकाल होता है. इसका समय 12 बजे से लेकर 1 बजे तक होता है. दोपहर 12 बजे आरंभ होने के कारण इसे शून्यकाल कहा जाता है क्योंकि 12 बजे का समय न तो सुबह होता है न दोपहर. संसद के नियमों में इसका कोई जिक्र नहीं है. माना जाता है कि शून्यकाल की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जब बिना पूर्व सूचना के लोक महत्व के ज़रूरी विषयों को उठाने की प्रथा विकसित हुई. लोकसभा की तरह ही पहले राज्यसभा में भी शून्यकाल 12 बजे ही शुरू होता था लेकिन हामिद अंसारी के राज्यसभा के सभापतित्व काल में इसे बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया गया.