जब चुनाव ही नहीं हुआ तो ओम बिरला कैसे चुने गए लोकसभा स्पीकर, गठबंधन के उम्मीदवार के सुरेश की दावेदारी का क्या हुआ?
Lok Sabha Speaker Election:ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा स्पीकर बन गए हैं. बुधवार को सदन की कार्रवाई शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रहा था.
Lok Sabha Speaker Election: लोकसभा का नया स्पीकर ओम बिरला को चुन लिया गया है. पीएम ने सदन में लोकसभा स्पीकर के लिए ओम बिरला के नाम प्रस्ताव रखा था. जिसका ललन सिंह और राजनाथ सिंह ने समर्थन किया था. इसके बाद ध्वनि मत से ओम बिरला को स्पीकर चुन लिया गया. वहीं, विपक्ष की तरफ से कोडिकुनिल सुरेश को लोकसभा स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया गया था.
यह 1976 के बाद इस तरह का पहला मौका था. बता दें कि स्वतंत्र भारत में लोकसभा स्पीकर पद के लिए केवल तीन बार 1952, 1967 और 1976 में चुनाव हुए.
क्यों आई चुनाव की नौबत
सरकार और विपक्षी दलों के बीच लोकसभा स्पीकर पद पर चयन को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई थी. जिस वजह से चुनाव की नौबत आ गई थी. लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार के गठन के बाद सरकार और विपक्ष के बीच यह पहला शक्ति प्रदर्शन था.
क्यों नहीं हुआ मत विभाजन
लोकसभा स्पीकर पद के चुनाव को लेकर ध्वनि मत का प्रयोग किया गया था. जिसके बाद ये सवाल उठ रहे थे कि किस वजह से मत विभाजन नहीं हुआ. दरअसल, विपक्ष ने ही मत विभाजन कोई मांग को नहीं उठाया था. इसी वजह से ध्वनि मत से ही ओम बिरला को नया स्पीकर चुन लिया गया. इसके बाद के सुरेश को लेकर प्रस्तुत किया गया प्रस्ताव निष्क्रिय हो गया.
पीएम मोदी और राहुल गांधी ने बैठाया था सीट
ओम बिरला के लोकसभा स्पीकर चुन लिए जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी उन्हें उनकी सीट तक लेकर गए. यह परंपरा रही है कि सदन के नेता और नेता विपक्ष, लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुने गए सांसद को उनकी सीट से लेकर अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर जाते हैं. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी ने हाथ भी मिलाया.
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