Lok Sabha Speaker: स्पीकर पद पर घमासान! JDU तैयार, लेकिन TDP पर फंसा पेंच, जानें बीजेपी की क्यों बढ़ी टेंशन
Lok Sabha Speaker: एनडीए सरकार के लिए टीडीपी और जेडीयू का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले 240 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से कम हैं.
Lok Sabha Speaker: लोकसभा स्पीकर का चुनाव 26 जून को होना है. ऐसे में अभी से ही स्पीकर पद को लेकर NDA और I.N.D.I.A अलायंस में शामिल दलों के बीच जुबानी हमले तेज हो गए हैं. I.N.D.I.A अलायंस के नेताओं ने NDA के घटक दल टीडीपी को लोकसभा स्पीकर के पद पर समर्थन देने की बात कही है तो दूसरी ओर जेडीयू ने भी अपने इरादे साफ कर दिए हैं.
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "कांग्रेस जो कर रही है, वह ध्यान भटकाने वाला है, यह गलत है. क्योंकि परंपरा यह है कि सत्तारूढ़ गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी ही स्पीकर के बारे में फैसला लेती है. बीजेपी जो भी फैसला लेगी, हम उसका समर्थन करेंगे.''
स्पीकर पद पर क्या है TDP का रुख
लोकसभा स्पीकर पर टीडीपी ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार खड़ा किया जाना चाहिए. टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ''एनडीए के सहयोगी स्पीकर पद के चुनाव को लेकर एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि स्पीकर के लिए उम्मीदवार कौन होगा. आम सहमति बन जाने के बाद हम उस उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे और टीडीपी समेत सभी सहयोगी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे.''
क्यों महत्वपूर्ण है BJP के लिए स्पीकर पद
हालांकि, टीडीपी ने स्पीकर की कुर्सी पर अपना दावा पेश करने के विकल्प को खारिज नहीं किया है. ऐसे में जेडीयू के रुख से बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो पार्टी स्पीकर का पद अपने उम्मीदवार के लिए रखना चाहती है और उसने इस बारे में अपने सहयोगियों से बात भी कर ली है. क्योंकि 1999 में बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA सरकार सत्ता में थी और उस दौरान सरकार को विश्वास मत से गुजरना पड़ा था, जो वह संसद में नहीं बन पाई. उस समय टीडीपी सांसद जीएमसी बालयोगी स्पीकर थे.
क्या हुआ था 1999 में?
दरअसल, 1999 में जयललिता के नेतृत्व वाली AIADMK ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, इसके बाद वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार एक वोट से गिर गई थी, क्योंकि अध्यक्ष के रूप में बालयोगी ने ओडिशा के तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग को वोट देने की अनुमति दी. वह तीन महीने पहले ही सीएम बने थे, लेकिन उन्होंने तब तक सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया था.
कितनी है NDA की संख्या?
एनडीए सरकार के लिए टीडीपी और जेडीयू का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले 240 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से कम हैं. इसके अलावा टीडीपी को 16 सीटें मिलीं, जबकि जेडीयू को 12 सीटें मिलीं. इसी के बाद ही NDA को पूर्ण बहुमत मिल पाया.
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