नई दिल्ली: एलजेपी में उठे सियासी घमासान के बीच सोमवार देर शाम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसद पशुपति पारस को एलजेपी के संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता दे दी. अब पशुपति पारस आधिकारिक तौर पर एलजेपी के ससदीय दल के नेता बन गए हैं. 


आपको बता दें कि दिवंगत नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस के नेतृत्व में एलजेपी के छह सांसदों में से पांच सांसदों ने पार्टी से बगावत कर दी है. सभी ने चिराग पासवान को किनारे करते हुए पशुपति को अपना नेता चुना और इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र सौंपा था, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें संसदीय दल के नेता के रूप मे मान्यता दी.


पशुपति पारस ने की नीतीश की तारीफ


पशुपति पारस ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते हुए उन्हें एक अच्छा नेता और विकास पुरुष बताया और इसके साथ ही पार्टी में एक बड़ी दरार उजागर हो गई, क्योंकि पारस के भतीजे चिराग पासवान जेडीयू अध्यक्ष के धुर आलोचक रहे हैं. हाजीपुर से सांसद पारस ने कहा, ‘‘मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है.’’ उन्होंने कहा कि एलजेपी के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता पासवान के नेतृत्व में बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू के खिलाफ पार्टी के लड़ने और खराब प्रदर्शन से नाखुश हैं.


चुनाव में खराब प्रदर्शन के संदर्भ में उन्होंने कहा कि एलजेपी टूट के कगार पर थी. उन्होंने पासवान के एक करीबी सहयोगी को संभावित तौर पर इंगित करते हुए पार्टी में असमाजिक तत्वों की आलोचना की. साथ ही उन्होंने कहा कि उनका दल बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार का हिस्सा बना रहेगा और पासवान भी संगठन का हिस्सा बने रह सकते हैं.



पशुपति पारस के पत्रकारों से बात करने के बाद चिराग पासवान दिल्ली स्थित उनके चाचा के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे. पासवान के रिश्ते के भाई एवं सांसद प्रिंस राज भी इसी आवास में रहते हैं. हालांकि उन्हें 20 मिनट से ज्यादा समय तक अपनी गाड़ी में ही इंतजार करना पड़ा, जिसके बाद वह घर के अंदर जा पाए और एक घंटे से भी ज्यादा समय तक घर के अंदर रहने के बाद वहां से चले गए. 


चिराग के काम करने के तरीके से खुश नहीं थे सांसद


ऐसा माना जा रहा है कि दोनों असंतुष्ट सांसदों में से उनसे किसी ने मुलाकात नहीं की. एक घरेलू सहायक ने बताया कि पासवन जब आए तब दोनों सांसद घर पर मौजूद नहीं थे. असंतुष्ट एलजेपी सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं. इन नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार के खिलाफ लड़ने से प्रदेश की सियासत में पार्टी को नुकसान हुआ. कैसर को पार्टी का उप नेता चुना गया है.


Explained: राम मंदिर की जमीन खरीद में चपत, 5 मिनट 5 सेकेंड में 2 करोड़ की जमीन 18.5 करोड़ की हो गई