संसद भवन में पहली बार शुरू हुआ झूलाघर, संसद का एक कोना अब नन्हें मुन्नों के लिए आरक्षित
खेलकूद की इंडोर और आउटडोर सुविधाओं के साथ ही इस झूलाघर में बच्चों के लिए भोजनकक्ष और एक खास शयनकक्ष भी बनाया गया हैं जहां अलग-अलग आकर के बिस्तर लगाए गए हैं.
नई दिल्ली: देश की नीतियों को जन्म देने वाली देश की संसद का एक खास कोना अब नन्हे-मुन्नों के लिए भी आरक्षित होगा. संसदीय स्टाफ में काम करने वाले कर्मचारियों और खासतौर पर महिलाओं की ज़रूरतों का मद्देनज़र पहली बार संसद भवन परिसर में झूलाघर तैयार किया गया है जहां कामकाज के वक़्त कर्मचारी अपने बच्चों को छोड़ सकेंगे.
देश की संसद का प्रबंधन महिलाओं के हाथ में हो तो स्वाभाविक है कि महिला हित के मुद्दों पर अमल में रफ्तार नज़र आए. लिहाज़ा दो दिन पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और लोकसभा महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने संसद में बच्चों के लिए बने अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस झूलाघर का उद्घाटन किया तो कई कर्मचारियों के लिए मानो सपना पूरा हो गया.
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि संसद भवन में झूलाघर को लेकर काफी समय से मांग चली आ रही थी. इसे पूरा करने में कुछ समय ज़रूर लगा लेकिन अब यह झूलाघर तैयार हो गया है. उन्होंने कहा कि यूँ तो फिलहाल झूलाघर की यह सुविधा केवल कर्मचारियों के लिए है लेकिन भविष्य में यदि महिला सांसद भी चाहें तो अपने बच्चों की देखभाल के लिए इसका लाभ ले सकती हैं.
संसद में नौनिहालों के लिए बनाए गए इस खास कोने का एबीपी न्यूज़ ने भी जायज़ा लिया जहां बच्चों की रुचि, सुविधा और सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया है. संसद की पुस्तकालय बिल्डिंग में बनाए गए इस झूलाघर में बच्चों के खाने, सोने और खेलने का पूरा इंतज़ाम किया गया है.
इस झूलाघर की प्रभारी और वेलफेयर अफसर किरण भार्गव बताती हैं कि फिलहाल यहां 16 बच्चों को रखने के लिहाज से इंतज़ाम किया गया है. बच्चों की देखभाल के लिए खास प्रशिक्षित स्टाफ की मदद ली जाएगी.
खेलकूद की इंडोर और आउटडोर सुविधाओं के साथ ही इस झूलाघर में बच्चों के लिए भोजनकक्ष और एक खास शयनकक्ष भी बनाया गया हैं जहां अलग-अलग आकर के बिस्तर लगाए गए हैं. फर्श पर लगी रबर मैट से लेकर दीवारों पर कार्टून चित्रों की रंग-बिरंगी सजावट तक बच्चों की ज़रूरतों का पूरा ध्यान रखा गया है. इतना ही नहीं झूलाघर में एक कक्ष स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी है. ज़रूरत पड़ने पर महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराने के लिए आ सकेंगी.
अपने बच्चे के लिए झूलाघर को देखने संसदीय सचिवालय में उप-सचिव मिरांडा इंगुडम मौजूद सुविधाओं को देखकर इतना खुश हुई कि उन्होंने इसे एक सपने का साकार होने करार दिया. उन्होंने इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष और महासचिव का खास शुक्रिया भी अदा किया जिसके कारण महिला कर्मचारियों की एक बड़ी चिंता का समाधान हो गया.
हालांकि यह महिलाएं ही नहीं बल्कि उन पुरुष कर्मचारियों के लिए भी एक बड़ी राहत है जो अपने छोटे बच्चों के देखभाल की ज़िम्मेदारी निभाते हैं. संसद के सुरक्षा स्टाफ में तैनात रमेश कुमार ऐसे ही एक पिता है. सुरक्षा संबंधी सख्त ड्यूटी और अपनी कामकाजी पत्नी के समय की दिक्कतों के मद्देनजर उन्हें अक्सर बच्चों के देखभाल की चिंता से रूबरू होना पड़ता था. संसद में झूलाघर की सुविधा पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि इसने परिवार की एक बड़ी समस्या का निदान कर दिया.
हालांकि कर्मचारियों के लिए झूलाघर की यह सुविधा निशुल्क नहीं है. अधिकारियों के मुताबिक इसके लिए करीब 4 हज़ार रुपये की फीस मुक़र्रर की गई है. इस सहूलियत के लिए कर्मचारियों को आवेदन भी करना होगा जिसमें प्राथमिकता एकल माता/ पिता और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दी जाएगी. भविष्य में इस सुविधा के प्रति आने वाले प्रतिक्रिया के आधार पर इसका विस्तार भी संभव है.