खुल गई इंडिया गठबंधन की पोल! TMC के बाद अखिलेश यादव की पार्टी ने कांग्रेस से बनाई दूरी, आखिर संसद में क्यों बंटा विपक्ष
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार गतिरोध बना हुआ है. अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी संभल हिंसा पर तो वहीं तृणमूल कांग्रेस बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर संसद में बहस चाहती है.
Parliament Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर 2024 से शुरू हुआ, जिसके बाद लगातार हंगामे का दौर जारी रहा. कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस अडाणी मामले को लेकर है तो वहीं समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस कुछ और मुद्दों पर भी संसद में चर्चा करना चाह रही है. मौजूदा हालातों को देखकर एक बात तो साफ होती जा रही है कि इंडिया गठबंधन में फिलहाल सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.
सपा-टीएमसी ने नहीं दिया कांग्रेस का साथ
अडाणी मामले पर विपक्ष ने लोकसभा से भले ही वॉकआउट कर दिया, लेकिन जब सदन के वॉकआउट के बाद विपक्षी नेता परिसर में प्रोटेस्ट कर रहे थे तो उसमें सपा और टीएमसी के एक भी नेता नहीं पहुंचे. संसद के मकर द्वार की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर प्रदर्शन करने में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सांसद प्रियंका गांधी, आरजेडी की मीसा भारती, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और शिवसेना यूबीटी के अरविंद सावंत ने हिस्सा लिया. इस दौरान विपक्षी सांसदों के हाथों में मोदी-अडाणी एक हैं और अडाणी पर भारत को जवाबदेही चाहिए के नारे लिखे बैनर और प्लेकॉर्ड नजर आ रहे थे.
खरगे के साथ मीटिंग में नहीं पहुंची टीएमसी
इससे पहले सोमवार (2 दिसंबर 2024) को संसद की कार्यवाही से पहले विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे से इंडिया गठबंधन के नेताओं की मुलाकात हुई थी. इस बैठक में राहुल गांधी भी शामिल हुए थे, जबकि टीएमसी का कोई सांसद नहीं पहुंचा था. तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि संसद में किसान, महंगाई, बेरोजगारी, विपक्षी राज्यों को मिलने वाले पैसे में कटौती और मणिपुर जैसे मुद्दों पर चर्चा हो, जबकि कांग्रेस इस बात पर अड़ी हुई है कि अडाणी मुद्दे पर ही चर्चा हो. समाजवादी पार्टी का रुख भी कमोबेश टीएमसी जैसा ही है.
सपा ने क्यों नहीं दिया कांग्रेस का साथ?
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सपा सांसद अखिलेश यादव ने संभल हिंसा का मु्द्दा जोरों-शोरों से उठाया. उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से पहले इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति मांगी फिर कहा कि संभल हिंसा में पांच लोगों की जानें गई है, जो बहुत गंभीर मामला है. स्पीकर ने इस मुद्दे को शून्यकाल के दौरान उठाने का सुझाव दिया, जिसके बाद खुद अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के सांसद विरोध में वॉकआउट करने लगे.
समाजवादी पार्टी के सांसदों ने मंगलवार (3 दिसंबर 2024) को लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात भी की, जिसमें संभल हिंसा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा का अनुरोध किया. सपा सांसद ने कहा कि उनकी पार्टी के लिए अडाणी से बड़ा मुद्दा किसान का है.
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