नई दिल्ली : देश के पहले लोकपाल की नियुक्ति के एक साल बाद अब लोकपाल संबंधी नियम आधिकारिक तौर पर जारी कर दिए गए हैं. प्रधानमंत्री समेत लोकसेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए प्रारूप भी तय कर दिए गए हैं. कार्मिक मंत्रालय के अनुसार शिकायत करने के लिए अपनी शिकायत के साथ-साथ स्टैंप पेपर पर हलफनामा भी देना होगा. इस हलफनामे के अनुसार झूठी, ओछी या चिढ़ाऊ शिकायत दंडनीय है. ऐसा करने पर शिकायतकर्ता को एक साल की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है.


लोकपाल से शिकायत के लिए आप डाक के जरिए या फिर डिजिटल माध्यम से कर सकते हैं. अगर आप डिजिटल माध्यम से शिकायत दर्ज करा रहे हैं तो आपको उसकी 15 दिन के भीतर जमा भी करानी होगी. कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अगर शिकायत पूरी तरह से सही है तो उसे लोकपाल उसे 15 दिन से अधिक लंबित नहीं रखेगा और 30 दिन के अंदर शिकायत का निपटारा करेगा.


इसके साथ ही जांच पूरी होने तक शिकायतकर्ता की पहचान भी गुप्त रखी जाएगी. आदेश के मुताबिक लोकपाल हिंदी, गुजराती, असमी, मराठी समेत संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 में से किसी भी भाषा में की गयी शिकायत पर गौर कर सकता है.


लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री ने भी आएंगे
लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री भी होंगे. जारी नियमावली के अनुसार मौजूदा और पूर्व प्रधानमंत्री सभी इसके दायरे में होंगे. प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत आने पर लोकपाल की पूरी बेंच तय करेगी कि शिकायत सही है या नहीं और इस पर सुनवाई शुरू होनी चाहिए अथवा नहीं. साथ ही अगर प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई शिकायत शुरुआत में ही निरस्त कर दी जाती है तो उससे सबंधित रिकॉर्डर्स आम नहीं किए जाएंगे.


लोकपाल बेंच के मुखिया चेयरपर्सन होंगे. वहीं प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत पर सुनवाई शुरू करने के लिए बेंच में से दो तिहाई लोगों की रजामंदी जरूरी है. किसी मंत्री या संसद सदस्य की शिकायत पर फैसला तीन लोगों की लोकपाल बेंच लेगी. गौरतलब है कि लोकपाल रिटायर्ड जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष हैं.

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