लोकपाल ने बिना कार्रवाई निपटा दीं 68 फीसदी शिकायतें, केवल 3 में पूरी जांच, संसदीय पैनल की रिपोर्ट में खुलासा
Lokpal Of India: बीजेपी नेता सुशील मोदी की अध्यक्षता वाले संसदीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट में लोकपाल के प्रदर्शन से असंतोष जताया है. लोकपाल ने एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया.
Lokpal Of India: भारत के लोकपाल के पास पिछले चार सालों में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ लगभग 68 फीसदी भ्रष्टाचार की शिकायतें बिना किसी कार्रवाई के 'निपटा' दी गईं. लोकपाल के कार्यालय ने एक संसदीय पैनल को ये जानकारी दी है. बताया गया कि केवल तीन शिकायतों की पूरी तरह से जांच की गई. 90 फीसदी शिकायतें निर्धारित प्रारूप में नहीं थीं.
भारत के लोकपाल (Lokpal of India) देश की पहली भ्रष्टाचार रोधी संस्था है, जिसे 4 साल पहले प्रधानमंत्री समेत सार्वजनिक पदों पर बैठे अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए स्थापित किया गया था. संस्था ने एक संसदीय पैनल को बताया कि इसने आज तक भ्रष्टाचार के लिए एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है.
सिर्फ 3 शिकायतों की हुई पूरी जांच
लोकपाल कार्यालय की ओर से एक संसदीय पैनल को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 के बाद से संस्था को 8,703 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 5,981 शिकायतों का निस्तारण किया गया. सही प्रारूप में नहीं होने के कारण 6,775 शिकायतों को खारिज कर दिया गया. केवल तीन शिकायतों की पूरी तरह से जांच की गई और 36 शिकायतें प्रारंभिक चरण में थीं. बीते साल 2022-23 में, लोकपाल कार्यालय को 2,760 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से केवल 242 निर्धारित प्रारूप में थीं.
5 जनवरी को भारत के लोकपाल ने एक आदेश जारी किया था कि अब से जो शिकायतें, निर्धारित प्रपत्र में नहीं होंगी, किसी भी स्तर पर विचार नहीं की जाएंगी. संसदीय पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है, "समिति लोकपाल द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से अनुमान लगता है कि बड़ी संख्या में शिकायतों का निस्तारण इस आधार पर किया जा रहा है कि शिकायत निर्धारित प्रारूप में नहीं है. लोकपाल ने समिति को बताया है कि उसने आज तक भ्रष्टाचार के आरोपी एक भी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया है.”
लोकपाल के 10 साल
देश में लोकपाल को लेकर एक बड़े आंदोलन के बाद साल 2013 में इसे लेकर अधिनियम पारित किया गया था. देश के पहले लोकपाल न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को 19 मार्च 2019 को आठ अन्य सदस्यों के साथ नियुक्त किया गया था. न्यायमूर्ति घोष मई 2022 में 70 साल की उम्र पूरी होने पर नियमानुसार पदमुक्त हो गए. तब से, प्रदीप कुमार मोहंती लोकपाल के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं.
लोकपाल को कितना बजट
लोकपाल को 2022-23 में 197 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था और 31 जनवरी तक इसने 152 करोड़ रुपये खर्च किए. चालू वित्त वर्ष के लिए, इसे 92 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
पिछले साल, केंद्र सरकार ने दक्षिण दिल्ली में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में लोकपाल के लिए 59,504 वर्ग फुट के क्षेत्र के साथ एक 254.88 करोड़ रुपये में एक ऑफिस खरीदा था.
असंतोषजन प्रदर्शन
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाले पैनल ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कानूनी और संस्थागत तंत्र को मजबूत करने के लिए लोकपाल की स्थापना की गई थी. हालांकि, लोकपाल का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं लगता है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि लोकपाल की स्थापना स्वच्छ और उत्तरदायी शासन को बढ़ावा देने के प्रयास में की गई थी और इसलिए, लोकपाल को एक अवरोधक के बजाय एक समर्थक के रूप में कार्य करना चाहिए. समिति लोकपाल से सिफारिश करती है कि वास्तविक शिकायतों को केवल तकनीकी आधार पर खारिज न करें कि शिकायत निर्धारित प्रारूप में नहीं है. इस समय जब भारत जी20 एंटी करप्शन वर्किंग ग्रुप का नेतृत्व कर रहा है. लोकपाल को इस अवसर पर आगे आना चाहिए और देश में भ्रष्टाचार विरोधी परिदृश्य को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.
यह भी पढ़ें
भारत-भूटान के बीच कई समझौते, जानें डोकलाम को लेकर क्या हुई बात