नई दिल्लीः बैंकों से 9000 करोड़ रुपए का कर्ज लेकर लंदन भागे विजय माल्या भारत आएंगे या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा. पर विजय माल्या जैसे लोग लंदन ही क्यों भागते हैं इसकी वजह जानेंगे तो आप चौंक जाएंगे. वैसे यह कोई पहला मामला नहीं, जब कानून से बचने के लिए देश से कोई लंदन भागा हो. इस लिस्ट में आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी, नेवी वॉर रूम लीक मामले के रवि शंकरन, म्यूजिक डायरेक्टर नदीम सैफी जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इन्हें वापस लाने में सरकार अब तक नाकाम रही है. जानें, भगोड़ों के लिए लंदन कैसे 'सेफ हेवन' बन चुका है, इसके पीछे की वजह जानकर आप हैरान हो जाएंगे...


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  • ये हैं वो तीन वजह

    1. एक्सट्राडिशन ट्रीटी के क्लॉज

    2. आर्टिकल 9

    3. यूके में सख्त ह्यूमन राइट्स एक्ट

    वजह नंबर 1: इंडिया-यूके एक्सट्राडिशन ट्रीटी में मुश्किलें

    इंडिया-यूके के बीच दिसंबर 1993 में एक्सट्राडीशन ट्रीटी पर साइन हुई थी. मतलब, दूसरे देश में रह रहे क्रिमिनल को लाने के लिए की जाने वाली प्रत्यर्पण संधि. इसके बावजूद ब्रिटिश अफसरों को समझाना मुश्किल होगा कि जो शख्स उनके यहां रह रहा है वो दरअसल भारत में फाइनेंशियल क्राइम का भगोड़ा है. असल में इस ट्रीटी में ही ऐसे क्लॉज और आर्टिकल हैं, जो आरोपी को कानूनी सहारा लेकर भागने या बचने के मौके देता है.

    वजह नंबर 2: भगोड़ों को बचाता है आर्टिकल 9?

    दरअसल, इस ट्रीटी का आर्टिकल 9 आरोपी को बचने के कई मौके देता है. इसके तहत चार ऐसे क्लॉज हैं, जिसके आधार पर ऑफेन्डर की एक्सट्राडिशन रिक्वेस्ट ठुकराई जा सकती है.

    कौन से हैं वो क्लॉज?

    1. नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक विचारधाराओं को आधार बनाते हुए आरोपी पर मुकदमा चलाने और उसे सजा देने के लिए एक्सट्राडिशन अपील करना.

    2. नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक विचारधाराओं के कारण आरोपी को डिटेन करना या नजरबंद करना या उसकी लिबर्टी छीनना.

    3. एक्सट्राडिशन अपील इन कारणों से भी अनजस्टिस होगी

    छोटे क्राइम के लिए एक्सट्राडीशन अपील करना.

    एक्सट्राडिशन रिक्वेस्ट करने में देरी करना.

    न्याय के खिलाफ जाकर आरोपी के एक्सट्राडिशन की अपील करना. इसी बेस पर 2000 में ब्रिटेन ने बॉलीवुड म्यूजिक डायरेक्टर नदीम अख्तर को सौंपने से मना कर दिया था. आरोपी जिस क्राइम का दोषी है वह एक मिलिट्री ऑफेन्स है, जो जनरल क्रिमिनल लॉ के तहत क्राइम नहीं है.

    वजह नंबर 3: ह्यूमन राइट्स एक्ट

    यूके का ह्यूमन राइट्स एक्ट वहां के हर निवासी के 15 फन्डामेंटल फ्रीडम्स (मौलिक आजादी) की सुरक्षा करता है.

    वहां से किसी को डिपोर्ट तो किया जा सकता है, बशर्ते संबंधित देशों में आरोपी के ह्यूमन राइट्स यानी मानव अधिकारों का उल्लंघन न हो.


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तो फिर कैसे भगोड़ों को भारत लाया जाए?

क्रिमिनल लॉयर माजिद मेमन के मुताबिक, डुअल-क्रिमिनलिटी क्लॉज एक्स्ट्राडिशन की प्रोसेस में मदद कर सकता है.
डुअल-क्रिमिनलिटी क्लॉज के मुताबिक, आरोपी को दोनों देशों में क्रिमिनल माना जाता है. हालांकि एक टॉप ब्यूरोक्रेट के मुताबिक, 'फाइनेंशियल मामलों से जुड़े आरोपी रसूखदार लोग होते हैं." "वे रास्ते पता कर देश से भाग जाते हैं. ऐसे लोगों पर कोई भी एक्शन लेना आसान नहीं होता."

भारत ही नहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान भी अपने यहां के कुछ अपराधियों के लंदन में पनाह लेने से परेशान है.

MQM लीडर अल्ताफ हुसैन ने भी ब्रिटिश गवर्नमेंट की शह पर लंदन में पनाह ले रखी है.अल्ताफ पर इंडियन इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ से लिंक और पाकिस्तान में एंटी टेरर एक्टिविटीज में शामिल रहने का आरोप है. पाकिस्तान गवर्नमेंट की अपील के बावजूद ब्रिटेन ने अब तक अल्ताफ उसे नहीं सौंपा है.

आमतौर पर ब्रिटिश कोर्ट एक्ट्राडीशन रिक्वेस्ट इसलिए खारिज कर देती है, ताकि दूसरे देश में ऑफेन्डर के साथ टॉर्चर न हो. कई मामलों में ब्रिटिश कोर्ट ने ऑफेन्डर की फैमिली लाइफ (ह्यूमन राइट्स के यूरोपियन कन्वेंशन आर्टिकल 8) को आधार बनाते हुए दूसरे देशों की एक्सट्राडीशन रिक्वेस्ट ठुकराई है.

रईस भारतीयों के लिए दूसरा घर जैसा है UK

दरअसल, यूके में एंट्री करना, प्रॉपर्टी खरीदना और वहां सेटल होना रईस भारतीयों के लिए बेहद आसान है. यूके का होम डिपार्टमेंट, बिजनेस और अर्जेंट ट्रैवलर्स को 24 घंटे के अंदर सुपर प्रायोरिटी वीजा सर्विस ऑफर करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, एक आंत्रपेन्योर वीजा के लिए आपको 2 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट शो करना होगा. वहीं, इन्वेस्टर वीजा हासिल करने के लिए 20 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट शो करना होगा. इसकी वैलिडिटी तीन साल तक के लिए रहती है, जिसे एक्सटेंड किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन के पॉश इलाके मेफेयर में 3000 इंडियन फैमिलीज की अपनी लग्जरी प्रॉपर्टीज हैं. यूके में करप्शन की वजह से 75 फीसदी प्रॉपर्टीज को लेकर इन्वेस्टिगेशन चल रही है.

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