कुशीनगर:भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर मे आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 2564वीं त्रिबिध पावन बुद्ध जयन्ती का आयोजन होना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो सका. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के आदेश के बाद मंदिर में ताला लगा हुआ है. मुख्य मंदिर में भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना तो नहीं हो सकी. लेकिन बौद्ध भिक्षुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इस अवसर पर सादगी से मंदिर के बाहर बैठ कर पूजा की. भगवान बुद्ध ने तीन संदेश दिए थे..


॥ बुद्धम् शरणम् गच्छामि ॥


॥ धम्मम् शरणम् गच्छामि॥


॥ संघम् शरणम् गच्छामि ॥


आज पूरा विश्व इसी रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहा है.


बौद्ध धर्म अनुयायियों के लिए त्रिविध पावन बुध पूर्णिमा (बैशाख पूर्णिमा) का विशेष महत्व होता है. आज ही के दिन भगवान बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था और आज ही के दिन बोध गया में उन्हे ज्ञान की प्राप्ती भी हुई थी. साथ ही आज के दिन ही कुशीनगर में उन्हे महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुई थी. कुशीनगर बौद्धों के लिए बहुत ही पवित्र स्थान है. चार बौद्ध तीर्थों में कुशीनगर अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. क्योंकि कुशीनगर की इसी पवित्र धरती पर भगवान बुद्ध ने अन्तिम सांस ली थी और अंतिम संदेश के साथ यहीं महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था. शांति की राह पर चलने वाले भगवान बुद्ध को समूचा विश्व गुरू मानता है. बैसाख पूर्णिमा बौद्धिष्ठों का एक पवित्र त्यौहार है. बौद्धिष्ठ इस त्यौहार को भव्यता के साथ मनाते है. साथ ही भगवान बुद्ध के बताए हुए मार्ग पर चलते है.


आपको बता दें कि कुशीनगर भगवान् बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली के नाम से विश्व के मानचित्र पर स्थापित है. इतिहासकारों का मानना है की 483 ईसा पूर्व भगवान् बुद्ध यहां आए और महापरिनिर्वाण को प्राप्त हुए थे. इसीलिए बौद्ध धर्म में कुशीनगर का विशेष महत्व है. कुशीनगर में भगवान् बुद्ध के 4 प्राचीन दर्शनीय स्थल हैं. इसके अलावे 13 बौद्धिष्ठ मंदिर है. हर साल बौद्ध धर्म के लाखों देसी-विदेशी अनुयाई यहां पूजा-अर्चन करने आते हैं. कुशीनगर में हर वर्ष विश्व के विभिन्न देशों के विदेशी पर्यटक यहां पूजन करने आते हैं. भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली को मुख्य मंदिर भी कहा जाता है. यहां विशेष पूजा अर्चना करके भगवान बुद्ध को चीवर चढ़ाया जाता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते यहां मंदिर में ताला लटक रहा है.



बौद्ध भिक्षु डॉ. नन्दरत्न थेरो बताते हैं कि इसी बैशाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध ने जन्म लिया और ज्ञान प्राप्त किया. इसी दिन कुशीनगर मे निर्वाण की प्राप्ति हुई थी, इसलिए इसका विशेष महत्व है. हर साल इसे बौद्ध भिक्षुओं द्वारा इसे भव्यता से मनाया जाता है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से विशेष पूजा का आयोजन नही हो सका है. हम लोगों ने भगवान बुद्ध की पूजा सादगी के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मंदिर के बाहर बैठकर की. सभी भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध से यह प्रार्थना की है कि पूरे विश्व को कोरोना की इस महामारी से जल्दी मुक्त कराएं. आज की पूजा में भंते आलोक, भंते नंदिया, भंते संघ रक्षित, भंते खेमचरा, भंते तेजेंद्र, भंते धम्म मानो, आदित्य शाक्या, गौतम शाक्य, अंगद यादव, ब्रजेश कुशवाहा, सुरेश माली आदि मौजूद रहे. इन सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कोरोना से लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया.


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