ओडिशा: स्वस्थ हुए जगन्नाथ जी, कल से दर्शन शुरू, 14 जुलाई को रथयात्रा
शहर में कहीं भी तिल रखने भर की जगह नहीं बची है. हर तरफ भजन गाते, हरि बोल के नारे लगाते लोगों की भीड़ लगी हुई है. इस बार 14 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेगी.
पुरी: पुरी में कल से भगवान जगन्नाथ का दर्शन शुरू हो जायेगा, पिछले पंद्रह दिनों से दर्शन बंद थे. 28 जून को स्नान पूर्णिमा के दिन से ही मंदिर का गर्भ गृह बंद था उस दिन जगन्नाथ जी, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को नहलाया गया था. पीतल के 108 मटकों से स्नान की परंपरा रही है. मान्यता है कि नहाने के बाद भगवान बीमार हो जाते हैं. जगन्नाथ जी के बीमार पड़ते ही उनका दर्शन बंद हो जाता है.
इस दौरान पंद्रह दिनों तक उनका इलाज चलता रहता है, अब वे स्वस्थ हो गए हैं. इसीलिए कल से गर्भ गृह के दरवाज़े खोल दिए जायेंगे. जगन्नाथ जी का दर्शन भी शुरू हो जायेगा. भगवान की एक झलक पाने के लिए ओडिशा के पुरी में भक्तों का मेला लग गया है. देश विदेश से लोग पहुंच गए हैं. शहर में कहीं भी तिल रखने भर की जगह नहीं बची है. हर तरफ भजन गाते, हरि बोल के नारे लगाते लोगों की भीड़ लगी हुई है. इस बार 14 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेगी.
वैसे तो भक्त मंदिर के अंदर जाकर भगवान के दर्शन करते हैं लेकिन रथयात्रा ऐसा अद्भुत अवसर होता है जब भगवान ख़ुद भक्तों को दर्शन देने रथ पर सवार होकर बाहर निकलते हैं. जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए अलग अलग रथ बनाए गए हैं . जिन्हें भक्त रस्सियों के सहारे खींचते हैं. मान्यता है कि रथ खींचने से मोक्ष मिलता है, इसी मोक्ष और मुक्ति के लिए रथयात्रा में पुरी में लाखों लोग जुटते हैं. ओडिशा के आईजी क़ानून व्यवस्था अमिताभ ठाकुर ने बताया कि इस साल 15 लाख लोगों के लिए इंतज़ाम किया गया है. पुरी, अहमदाबाद और कोलकाता के अलावा देश और विदेश के कई शहरों में जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकलती है.
पुरी मंदिर से रथ पर निकल कर जगन्नाथ जी गुंडीचा मंदिर पहुंचते हैं. तीन किलोमीटर के इस सफर को ही रथयात्रा कहा जाता है. गुंडीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ का जन्म स्थान है, इसे भगवान का मौसी घर भी कहते हैं. वे यहां हफ़्ते भर रहते हैं, इसके बाद वे वापस रथ पर सवार होकर पुरी मंदिर लौट जाते हैं. पुरी की रथयात्रा आस्था और भारत के धार्मिक वैभव का प्रतीक है.