जम्मू में गन्ने और तरबूज की खेती करने वाले किसानों को हो रहा नुकसान, फेंकने तक को हो रहे हैं मजबूर
जम्मू में हर साल गन्ने और तरबूज़ का करोड़ों रुपए का व्यापार होता है लेकिन इस साल कोरोना वायरस के चलते इन किसानों को भारी नुक्सान उठाना पड़ता है
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जम्मू: कोरोना को हराने के लिए जारी लॉकडाउन के चलते जम्मू में गन्ना और तरबूज़ किसान अपनी खड़ी फसल को जानवरों को खिलने के लिए मजबूर हैं. आलम यह है की बिक्री न होने के कारण जम्मू में गन्ना किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गयी है.
जम्मू के गजनसू मढ़ इलाके में इन दिनों जिस तरफ भी आप नज़र डाले वहां गन्ने के खेतों में किसान हाथों में हंसिया लेकर अपनी गन्ने की खड़ी फसल को बर्बाद करने पर मजबूर हैं. दरअसल, जम्मू के इस इलाके की तीन पंचायतों में गन्ने की इतनी पैदावार होती है कि पूरा प्रदेश में इसे सप्लाई किया जाता हैं. यह गन्ना मुख्यत: प्रदेश में गन्ने की जूस की दुकानों और रेहड़ियों पर बिकता है.
इस साल कोरोना के चलते प्रदेश में ऐसी सभी दुकानें और रेहड़ियां बंद है, जिसका असर सीधा इन किसानों पर पड़ा है. इलाके में गन्ने की खेती करने वाले बलबीर राम का दावा है कि उसके जैसे सेंकड़ों किसानों का एक भी गन्ना नहीं बिका है. जिसके कारण उन्हें मजबूरन यह फसल पशुओं को खिलानी पड़ रही है.
जम्मू में पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे फ्लाईमण्डाल इलाके में तरबूज़ की अच्छी खासी खेती होती. लेकिन इन किसानों की कहानी भी गन्ना किसानों से अलग नहीं है. इन किसानों का दावा है कि अगर वो तरबूज़ की खेती में एक लाख रुपए लगाते थे तो उन्हें करीब साढ़े तीन लाख रुपए की कमाई होती थी.
वहीं कोरोना वायरस के चलते इस साल एक लाख लगाने पर उन्हें पच्चास हज़ार रुपये भी नहीं बच रहे हैं. इन किसानों का दावा है कि वो मंडी में अपने तरबूज़ लेकर बेचने जाते है और जितने तरबूज़ नहीं बिकते उन्हें वहीं फेंक आते हैं.
वहीं बीजेपी के गजानसू मढ़ से पूर्व विधायक चौधरी सुखनंदन मानते है कि अगर सिर्फ गन्ना परिवारों की बात करे तो इलाके में करीब 500 ऐसे किसान परिवार है जिनकी रोज़ी रोटी गन्ने की खेती पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द इन किसानो के बचाव में नहीं आती है तो इनमे से कई आत्महत्या करने पर मजबूर हो जायेंगे.
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