जोधपुरः राजस्थान हाई कोर्ट ने सभी निचली अदालतों को नियमित या अग्रिम जमानत याचिकाओं को मंजूर या नामंजूर करते समय एक आरोपी के आपराधिक अतीत के विस्तृत विवरण का उल्लेख करने का निर्देश दिया है. जस्टिस पीएस भाटी ने शुक्रवार को एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि निचली अदालतें आपराधिक अतीत को विस्तार से बताने में परहेज करती हैं, इससे जमानत याचिकाओं के निपटारे में देरी होती है.


अदालत ने आगे कहा, ‘‘मामलों पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता का आपराधिक अतीत नहीं रहा है जबकि प्रतिवादी (लोक अभियोजक) इस तथ्य का खंडन करने की स्थिति में नहीं हैं. इस वजह से अदालत याचिकाकर्ता को जमानत दे रही है.’’


वकील ने दलील दी कि केवल अतीत के आधार पर किसी की जमानत को मंजूर या नामंजूर नहीं किया सकता, लेकिन हाइ कोर्ट के पास आरोपी के आपराधिक अतीत की रिपोर्ट अवश्य होनी चाहिए, जिससे सीआरपीसी की धारा 437 (1) के लागू होने की जांच करने के अलावा आरोपी के खिलाफ लगे आरोपों की सभी पहलुओं से पड़ताल करने के साथ उसके मामले पर गौर किया जा सके.


पांच जनवरी के पहले एक रिपोर्ट सौंपने का आदेश


अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘निचली अदालतों को जमानत मंजूर या नामंजूर करने की स्थिति में अपने आदेश में अगर आरोपी के अतीत का कोई ब्योरा है तो उसका उल्लेख करना चाहिये. इसमें प्राथमिकी संख्या, मामलों की संख्या, लगायी गयी धाराएं, तारीख, मामलों की स्थिति, रिहा किए जाने आदि के बारे में बताना चाहिये.’’


यह आदेश देते हुए जस्टिस भाटी ने अदालत की रजिस्ट्री को सभी जिला और सत्र न्यायाधीशों को इस बारे में अवगत कराने और जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इसे लागू करने को कहा.अदालत ने रजिस्ट्री को इस आदेश का अक्षरश: पालन सुनिश्चित कराने और पांच जनवरी के पहले एक रिपोर्ट सौंपने को कहा.


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