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फीकी पड़ी 'उज्जवला' की चमक, महंगे सिलिंडर के चलते रीफिल नहीं करवा पा रहे हैं लाभार्थी
एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गैस सिलिंडर महंगे होने से लाभार्थी उज्जवला योजना में बांटे गए गैस सिलिंडर नहीं भरवा पा रहे हैं. हाल ही में गैर सब्सिडी वाले 14.2 किलो वाले घरेलू सिलिंडर की कीमत 144.5 रुपये बढ़ाई गई है. इसके बाद सिलिंडर की कीमत 858.50 रुपये हो गई है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की चमक लगातार महंगे होते एलपीजी सिलिंडर ने फीकी कर दी है. लगातार महंगे होते घरेलू सिलिंडर की कीमत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना का गणित बिगाड़ कर रख दिया है. उज्जवला योजना के तहत अभी तक देश भर में गरीब महिलाओं को आठ करोड़ मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं. सरकार का मकसद था कि गरीब परिवार पारंपरिक ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला आदि का इस्तेमाल ना करे, लेकिन, एलपीजी की बढ़ती हुई कीमतें सरकार के इस मकसद में रुकावट पैदा कर रही हैं.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी "इकोरैप" रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि देश भर में उज्जवला लाभार्थियों में से 24.6 फीसदी लाभार्थियों ने पहला सिलिंडर लेने के बाद कोई भी रिफिल नहीं करवाया है. वहीं, 17.9 फीसदी लाभार्थियों ने सिर्फ एक या दो रिफिल करवाया है. तीन रिफिल करवाने वाले लाभार्थियों की संख्या 11.7 फीसदी है. चार या उससे ज़्यादा रिफिल करवाने वाले उज्जवला लाभार्थी 45.8 फीसदी है. एसबीआई ने इस रिपोर्ट के लिए मई 2016 से दिसंबर 2018 तक के 5.92 करोड़ उज्जवला कनेक्शन धारकों के डेटा का अध्यन्न किया है.
देश भर में गैर उज्जवला परिवार की सालाना एलपीजी खपत 6.7 सिलिंडर की है. इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि उज्जवला योजना ने गरीबों को गैस सिलिंडर तो मुहैया करा दिए लेकिन, बढ़ते सिलिंडर की कीमत ने रिफिल करवाने की हिम्मत इन गरीब परिवारों को नहीं दी. सरकारी आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि उज्जवला की चमक पर महंगाई की मार पड़ी है. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017 में उज्जवला कनेक्शन की औसत सालाना खपत 3.9 सिलिंडर थी जो कि वित्त वर्ष 2019 में घटकर तीन सिलिंडर की रह गई है.
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की उपलब्धि यह रही कि अक्टूबर 2019 तक देश के 96.5 फीसदी घरों में एलपीजी की पहुंच हो गई है. लेकिन, बढ़ती कीमतों ने सिलिंडर खपत कम कर दी है. हाल ही में गैर सब्सिडी वाले 14.2 किलो वाले घरेलू सिलिंडर की कीमत 144.5 रुपये बढ़ाई गई है जो कि लगातार छठी बार बढ़ी है. इसके बाद सिलिंडर की कीमत 858.50 रुपये हो गई है. हालांकि, सब्सिडी वाले सिलिंडर के लिए सब्सिडी की रकम भी बढ़ाई गई है. उज्जवला योजना के लाभार्थियों के लिए सब्सिडी की रकम 174.86 रुपये से बढ़ाकर 312.48 रुपये प्रति सिलिंडर कर दी गई है, लेकिन असल समस्या उज्जवला लाभार्थियों के सामने एकमुश्त 858 रुपये चुकाने की है. सब्सिडी तो खाते में बाद में आती है. इसी वजह से लगातार बढ़ती गैस सिलिंडर की कीमत ने खपत घटा दी है.
रिपोर्ट में उज्जवला योजना के तहत सिलिंडर खपत बढ़ाने के लिए कई सुझाव भी दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है उज्जवला योजना के तहत गैस चूल्हा खरीदने के लिए मिलने वाले लोन को खत्म कर एकमुश्त पैसा दिया जाए. इससे सरकार पर 2500 करोड़ का बोझ बढ़ेगा, लेकिन रिफिल की संख्या बढ़ जाएगी. इसके अलावा ज्यादा गरीब लोगों का डेटाबेस बनाकर इन्हें साल में अधिकतम चार सिलिंडर रिफिल मुफ्त में दिए जाएं.
तीसरा सुझाव रिपोर्ट में दिया गया है कि सालाना सब्सिडी वाले सिलिंडर की संख्या को मौजूदा 12 से घटाकर 9 कर दिया जाए. इसके अलावा गैस चूल्हों की अनिवार्य लेबलिंग की जाए जिससे चूल्हे कम से कम 10 फीसदी तक कि एलपीजी बचत करेंगे. पेट्रोलियम मंत्रालय से लेकर नीति आयोग तक में कई बार उज्जवला योजना को लेकर चर्चा हो चुकी है. अब देखना यही होगा कि आखिरकार सरकार उज्जवला योजना में रिफिल की संख्या को बढ़ाने को लेकर क्या कुछ कदम उठाती है.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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