नई दिल्ली: लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने सेना के 27वें प्रमुख का आज प्रभार संभाल लिया. उन्होंने जनरल दलबीर सिंह सुहाग की जगह ली, जो 42 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो गए. एयर मार्शल वीरेन्द्र सिंह धनोवा ने भी अनूप राहा की जगह 25वें वायुसेना प्रमुख का प्रभार संभाला. जनरल रावत को दो वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल, प्रवीण बख्शी और पीएम हारिज पर तरजीह दी गई है.


लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी ने नये सेना प्रमुख को पूरा सहयोग देने की घोषणा की है. उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कहा कि वह पूरी पेशवर गंभीरता के साथ नेतृत्व करते रहेंगे.


उन्होंने कहा, ‘‘सेना प्रमुख का पद भार संभालने पर जनरल बिपिन रावत को मैं अपनी शुभकामनाएं और पूर्वी कमान को पूरा सहयोग देता हूं.’’ इससे पहले ये अटकलें थी कि लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं या समय से पहले सेवानिवृत्ति ले सकते हैं. उन्होंने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से भी हाल में मुलाकात की थी.


उन्होंने अनुरोध किया था कि मीडिया और सोशल मीडिया में अटकलबाजी और ‘ट्रालिंग’ बंद होनी चाहिए. साथ ही हर किसी को सेना एवं राष्ट्र की बेहतरी के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना चाहिए. इस बारे में अटकलें हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का नया पद दिया जा सकता है, जिस सिलसिले में पर्रिकर अगले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे. हालांकि, सूत्रों ने संकेत दिया कि ऐसा कोई घटनाक्रम नहीं होगा.


जनरल सुहाग ने कहा कि सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है. उन्होंने खुली छूट देने और ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना लागू करने को लेकर सरकार का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि घुसपैठ की कोशिशें इस साल बढ़ गई और मारे आतंकवादियों की संख्या पिछले साल की तुलना में करीब दोगुनी है.


जनरल ने कहा कि सेना ने उनके कार्यकाल के दौरान संचालनात्मक तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया. सुहाग ने कहा कि जब उन्होंने पद भार संभाला था तब उन्होंने कहा था कि हमारे हितों के खिलाफ किसी भी हरकत पर फौरन, उचित और तीव्र प्रतिक्रिया की जाएगी. ‘‘सेना ने पिछले ढाई साल में ऐसा किया.’’ बाद में दोपहर के वक्त उन्होंने रावत को प्रभार सौंपा, जो आईएमए से दिसंबर 1978 में 11 वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन में शामिल हुए थे. उन्हें अकादमी में ‘सॉर्ड ऑफ ऑनर’ से नवाजा गया था.’’ इससे पहले दिन में जनरल सुहाग, वायुसेना प्रमुख राहा ने अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित की और गार्ड ऑफ ऑनर लिया.


नये वायुसेना प्रमुख धनोवा ने वायुसेना की हवाई अभियान की अवधारणा को समकालिक युद्ध व्यवहारों में तब्दील किया है.


उन्होंने मुख्य रूप से किरण और मिग 21 विमान उड़ाई, जिसके जरिए उन्हें जगुआर से लेकर अत्याधुनिक मिग 29 और सुखोई 30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों का अनुभव प्राप्त हुआ.


एयर मार्शल ने कई उपलिब्धयां हासिल की. एक अग्रिम जमीनी हमला फाइटर स्कवाड्रन का कमांडिंग अधिकारी होने के नाते उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ करगिल के सीमित युद्ध में दुश्मन को उनके ठिकाने से बाहर निकालने में वायुसेना का नेतृत्व किया था.