लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने संभाला कार्यभार, जानिए कौन हैं सीमा सड़क संगठन के नए प्रमुख
BRO Chief Raghu Srinivasan: श्रीनिवासन ने कार्यभार संभालने के बाद बीआरओ कर्मियों को दिए अपने संदेश में, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण करने के लिए उनकी सराहना की.
BRO Chief: लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने शनिवार (30 सितंबर) को 28वें महानिदेशक सीमा सड़क (डीजीबीआर) के रूप में पदभार संभाल लिया है. उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी के रिटायर होने के बाद कार्यभार संभाला है. डीजीबीआर के रूप में नियुक्ति से पहले रघु श्रीनिवासन पुणे के कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग में कमांडेंट के पद पर कार्यरत थे.
इस बात की जानकारी रक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई. रघु श्रीनिवासन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं. उन्होंने अपनी शानदार सेवा के दौरान ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन रक्षक और ऑपरेशन पराक्रम में हिस्सा लिया. उनके पास सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेषकर लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में सर्विस करने का अनुभव है.
रक्षा सलाहकार भी रहे श्रीनिवासन
उन्होंने दो साल तक रक्षा सलाहकार के रूप में भी काम किया है. रघु श्रीनिवासन ने अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान प्रतिष्ठित डीएसएससी, हायर कमांड और एनडीसी पाठ्यक्रमों में अर्हता हासिल करते हुए कई प्रमुख कमांड और स्टाफ नियुक्तियों पर भी काम किया है.
बीआरओ कर्मियों की सराहना
लेफ्टिनेंट जनरल श्रीनिवासन ने कार्यभार संभालने के बाद बीआरओ कर्मियों को दिए अपने संदेश में, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में महत्वपूर्ण सड़कों और संबद्ध अवसंरचना को बरकरार रखने के साथ-साथ उनका निर्माण करने के लिए उनके प्रयासों की सराहना की.
उन्होंने सशस्त्र बलों को सीमाओं की सुरक्षा करने और दूर-दराज के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने, दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ने के अपने मिशन में लगातार अटूट समर्पण, लचीलापन और व्यावसायिकता प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया.
सीमा सड़क संगठन की स्थापना 7 मई, 1960 को उत्तर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के दूरदराज के क्षेत्रों में अवसंरचना के विकास के माध्यम से भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने के उद्देश्य से की गई थी. अपनी स्थापना के बाद से, बीआरओ ने 63,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों, 976 पुलों, छह सुरंगों और 21 हवाई क्षेत्रों का निर्माण और राष्ट्र को समर्पित किया है.
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