लखनऊ: इस वजह से बीजेपी विधायक के समर्थन में उतरे सपा विधायक
नंद किशोर गुर्जर सदन में अपनी बात रखना चाहते थे, जिसकी अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने अनुमति नहीं दी.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की विधानसभा मंगलवार को दोपहर के बाद हंगामे की भेंट चढ़ गई. सत्ता पक्ष और विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई. बात गाजियाबाद के लोनी विधानसभा क्षेत्र के विधायक नंद किशोर गुर्जर से शुरू हुई.
खाद्य सुरक्षा अधिकारी से मारपीट के मामले में नामजद और पार्टी से कारण बताओ नोटिस पाने वाले बीजेपी के विधायक नंद किशोर गुर्जर ने जब अपनी बात सदन में रखनी चाही तो सत्ता पक्ष के लोगों ने उन्हें बैठने को कहा. बस, इसी पर बात बढ़ गई और जमकर हंगामा हुआ. इसके चलते शीतकालीन सत्र का पहला दिन दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया. निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा मोना और बीएसपी के लालजी वर्मा ने कहा कि विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सत्ता पक्ष के विधायकों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. बताया जा रहा है कि रात में सीएम योगी से मिलकर विधायक गुर्जर ने माफी मांगी. सीएम योगी ने सुरेश खन्ना को पूरे मामले की जांच करने के लिए कहा है. इधर गाजियाबाद पुलिस ने गुर्जर के आपराधिक मामले की लिस्ट जारी कर दी, 12 मामले हैं.
दरअसल, गुर्जर सदन में अपनी बात रखना चाहते थे, जिसकी अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने अनुमति नहीं दी. इसके खिलाफ पहले तो सदन के बाहर लॉबी में विरोध प्रकट किया गया लेकिन बाद में गुर्जर सहित उनके समर्थक बीजेपी विधायक सदन में आ गए और नारेबाजी करने लगे. उनका साथ विपक्षी सदस्यों ने भी दिया. दीक्षित ने हंगामे के कारण दोपहर लगभग पौने 2 बजे सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी. इसके बाद पंद्रह-पंद्रह मिनट के लिए दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गई. कार्यवाही फिर शुरू होने पर भी सत्ता पक्ष ही नहीं बल्कि विपक्षी विधायकों ने फिर से नारेबाजी शुरू कर दी. वे ‘विधायक एकता जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे. इसके बाद सदन की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. बाद में गाजियाबाद के जिलाधिकारी और एसएसपी को तलब करने और मामले में सख्त कार्रवाई के आश्वासन के बाद बात बनी. इसके अलावा एक कमेटी बनाई गई है, जो विधायकों के आरोपों की जांच करके रिपोर्ट देगी.
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