लखनऊः उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के हेल्पलाइन नम्बर 1076 में काम करने वाले बीपीओ के 80 से ज्यादा कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. सबसे पहले 28 मई एक महिला कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाई गई. इसके बाद जून के दूसरे हफ्ते में पहले 9 कर्मचारी, फिर 9 कर्मचारी, फिर 24 कर्मचारी, फिर 1 कर्मचारी और सोमवार 15 जून को 26 कर्मचारी पॉजिटिव पाए गए.
यूपी सरकार ने कनिका कपूर को संक्रमण फैलाने का आरोपी मानते हुए उनपर एफआईआर दर्ज कराई थी लेकिन आज एक बीपीओ में 80 से ज्यादा कर्मचारियों में संक्रमण पाए जाने के बाद भी संबंधित कंपनी को सिर्फ एक नोटिस ही दिया गया है.
कौन चलाता है सीएम हेल्पलाइन?
यूपी में मुख्यमंत्री तक अपनी बात आसानी से पहुंचाने का सबसे आसान माध्यम है टोल फ्री नम्बर 1076. ये टोल फ्री नम्बर सीएम हेल्पलाइन के नाम से जाना जाता है. ये मुख्यमंत्री कार्यालय से ज़रूर जुड़ी है लेकिन इसका संचालन एक निजी बीपीओ कंपनी करती है.
श्योरविन (SureVin) बीपीओ मुख्यमंत्री के हेल्पलाइन नम्बर का संचालन करती है. इस कम्पनी का कॉल सेंटर लखनऊ के गोमतीनगर के विभूति खण्ड में साइबर टावर में स्थित है. यहां 1050 कर्मचारी काम करते हैं. इनकी 8 घंटे की शिफ्ट होती है.
हालांकि फ्लोर पर कम्प्यूटर सिस्टम जिस तरीके से लगे हैं, वहां कर्मचारियों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तभी हो सकता है जब एक सिस्टम छोड़कर काम कराया जाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
'कर्मचारियों ने दर्ज कराई थी शिकायत'
28 मई को एक महिला कर्मचारी में कोरोना संक्रमण पाया गया. इसके बाद भी कंपनी में काम होता रहा. कर्मचारियों को जब अपनी सहयोगी में कोरोना का पता चला तो उन्होंने कंपनी के सामने कोरोना से बचने का उचित उपाय करने की बात उठाई. वेतन से लेकर सेनिटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग तक का मुद्दा कर्मचारियों ने कम्पनी के प्रोजेक्ट मैनेजर के सामने रखा.
धीरे-धीरे विरोध बढ़ता गया तो कुछ कर्मचारियों को नौकरी से छुट्टी दे दी गई. इसके बाद कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र पहुंचाने की कोशिश की. लखनऊ के जिलाधिकारी को ट्वीट किया लेकिन कंपनी प्रबंधन पर इसका कोई असर नहीं हुआ.
हालात ये हैं कि आज 80 से ज्यादा कर्मचारियों में संक्रमण फैल चुका है. फिलहाल एहतियातन प्रशासन ने दफ्तर सील कर दिया है और सीएमओ की तरफ से संबंधित कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. हालांकि अबतक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.
कर्मचारियों ने कंपनी पर लगाए गंभीर आरोप
SureVin कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि कैसे कंपनी में बिना सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किये हुए कर्मचारियों से काम लिया जा रहा था. काम करने वालों को 6 से 8 हज़ार तक की तनख़्वाह दी जाती है. दफ़्तर में हंगामा करने के बाद मास्क और सेनिटाइज़र की व्यवस्था तो कर दी गई लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हुआ. नतीजा ये हुआ कि धीरे-धीरे 80 कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो गए.
एक कर्मचारी को हाल ही में अपनी आवाज़ रखने पर कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर पूर्व कर्मचारी ने बताया कि कैसे एक-एक कर कर्मचारियों को नजदीक बैठाकार काम लिए जाने से इतने सारे लोगों में कोरोना हो गया.
जब कोई मीडियाकर्मी कंपनी में आया था, तब सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया था ताकि वीडियो में सब अच्छा दिखे. लेकिन बाद में शिफ्ट में सभी कर्मचारियों को बुलाकर सारे नियमों को दरकिनार कर सबको संकट में डाला गया.
कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों की शिकायत यही है कि कंपनी ने मनमर्जी तरीके से काम लिया और अब उनकी मनमानी की वजह से 80 से ज्यादा कर्मचारियों में संक्रमण फैल गया है. अगर समय रहते कंपनी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया होता तो आज ये नौबत नहीं आती.
देशभर में फैला है स्योरविन कम्पनी का काम
SureVin एक बड़ी कंपनी है, जिसका काम देशभर में फैला हुआ है. कंपनी किसी भी हाल में अपने कर्मचारियों से काम लेने के लिए तमाम नियम कायदे ताक पर रखकर चलाई जा रही है. आज अगर किसी कर्मचारी को कुछ हो जाता है तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा?
जब कनिका कपूर को आरोपी मानकर एफआईआर दर्ज की जा सकती है तो आखिर ये कंपनी, जिसकी गलती साफ दिखाई दे रही है, उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. देखना होगा कि सीएमओ के नोटिस का कंपनी क्या जवाब देती है और सबसे जरूरी पहलू यह होगा कि सरकार इस कंपनी पर क्या कार्रवाई करती है.
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