लखनऊ: कोरोना वायरस की महामारी ने बाप-बेटों के रिश्तों को संकट में डाल दिया है. लखनऊ में एक बाप अपने मृत बच्चे को चूम भी नहीं सका. सिर्फ इसलिए कि जिस अस्पताल में उसकी ड्यूटी वार्ड ब्वॉय के तौर पर है वहां कोविड-19 मरीजों का इलाज किया जा रहा है. और संक्रमण के चलते उसे अपने परिजनों के बीच जाने की मनाही है.


बाप-बेटे के रिश्ते पर कोरोना का संकट


लोकबंधु अस्पताल के अन्य स्टाफ की तरह वार्ड ब्वॉय मनीष कुमार त्यागी भी 14 दिनों के लिए पास के होटल में क्वारंटीन थे. अस्पताल में कोविड-19 मरीजों का इलाज होने के चलते किसी को घर जाने की इजाजत नहीं है. एक रात मनीष को 9 बजे उसके बच्चे के तबीयत खराब होने के बारे में फोन पर जानकारी मिली. उसके तीन वर्षीय एकलौते बच्चे को उल्टी और गैस्ट्रिक संक्रमण की समस्या थी. मनीष बताते हैं, “चूंकि मैं क्वारंटीन में होने के चलते कुछ नहीं कर सकता था. इसलिए मेरा परिवार ही बच्चे को एक ड्राइवर पड़ोसी की मदद से इलाज के लिए चिन्हट के अस्पताल ले गया. वहां अस्पताल ने उसे एडमिट करने से इंकार कर दिया. फिर परिजन आलमबाग के एक अस्पताल में ले गए. वहां भी उसे भर्ती नहीं लिया गया. मेरी पत्नी तब किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लेकर गई. तब तक मैं अपने अस्पताल के वरिष्ठ सहयोगियों को बता चुका था. उन्होंने किंग जॉर्ज मेडिकल के डॉक्टरों को फौरन इलाज करने की गुजारिश की मगर तब तक बहुत देर हो गई.”


मृत बच्चे को चूम भी नहीं सका वार्ड ब्वॉय


मनीष कुमार को शक है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से निजी अस्पतालों ने बच्चे को हाथ नहीं लगाया. इमरजेंसी में कैसे कोई अस्पताल बच्चे का इलाज करने से इंकार कर सकता है. मनीष कुमार आंसू पर काबू पाने की कोशिश करते हुए बताते हैं, “जमीन में हमेशा के लिए उसे सुलाने से पहले मैं अपने बच्चे को चूम भी नहीं सका. विशेष अनुमति से मैं किंग जॉर्ज मेडिकल एंबुलेंस में सुरक्षा किट पहनकर पहुंचा. फिर भी मैं परिवार के पास नहीं जा सका. सिर्फ बच्चे को दूर से ही देखकर चला आया.” सुबह बच्चे को लखनऊ के एक गांव में दफ्ना दिया गया. मगर मनीष को अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि उनका बच्चा इस दुनिया में नहीं है. मनीष की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. मनीष कहते हैं, “मैंने पारिवारिक जिम्मेदारियों से ऊपर ड्यूटी को प्राथमिकता दी है. कुछ महीने पहले मैं अपने पिता को खो चुका हूं और अब अपने एकलौते बच्चे को. मुझे नहीं मालूम जिंदगी आगे क्या रुख अख्तियार करती है.” आपको बता दें कि मनीष की चार साल पहले अनुबंध के आधार पर नियुक्ति हुई थी. फरवरी से कोविड-19 मरीजों की देखभाल में उनकी तैनाती थी.


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