लखनऊ: इंटरनेट से ली थी आतंकियों ने कुकर बम बनाने की ट्रेनिंग, टार्गेट की कर रहे थे तलाश
अब तक की पूछताछ और जांच के दौरान जांच एजेंसियों को इंटरनेट पर बातचीत किए जाने और संदेशों के आदान प्रदान की लंबे संदेश समेत महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लगे हैं.
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नई दिल्ली: लखनऊ एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों से पूछताछ में हुआ है. बड़ा खुलासा प्रेशर कुकर बम बनाने की ट्रेनिंग आतंकवादियों ने इंटरनेट के जरिए ली थी और बम को बनाने में माचिस की तीलियों के बारूद का इस्तेमाल किया गया था किस नेता को निशाने पर लेना है इस की तलाश की जा रही थी.
लखनऊ में गिरफ्तार अलकायदा के भारतीय मॉड्यूल के दो आतंकवादियों से पूछताछ जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे नए खुलासे और नई साड़ियों का पर्दाफाश हो रहा है पूछताछ के दौरान पता चला है कि गिरफ्तार आतंकवादियों ने प्रेशर कुकर बम की ट्रेनिंग इंटरनेट के जरिए ली थी और मात्र ₹2000 में बम तैयार कर लिया था.
सूत्रों के मुताबिक जब आतंकवादियों ने अपने आका उमर अल मंडी को बताया कि उन्हें बम बनाना नहीं आता है तो इन्हें इंटरनेट के जरिए बम बनाने की ट्रेनिंग दी गई और बाकायदा यह भी बताया गया कि इस बम को बनाने का सामान स्थानीय मार्केट में आसानी के साथ मिल जाता है और इसे बनाने में ज्यादा पैसे भी नहीं लगते.
अब तक की पूछताछ के दौरान पता चला है गिरफ्तार आतंकियों में से एक की ई रिक्शा में लगाने वाली बैटरी की दुकान है यह आतंकवादी पहले सेल्समैन का काम करता था और एक यूनिवर्सिटी से इतनी अच्छी पढ़ाई भी दी है. अलकायदा के लीडरों से यह आतंकवादी इंटरनेट के जरिए संपर्क में आया था और इंटरनेट के जरिए इन लोगों की आपस में बातचीत हुई होती थी. अब तक की पूछताछ और जांच के दौरान जांच एजेंसियों को इंटरनेट पर बातचीत किए जाने और संदेशों के आदान प्रदान की लंबे संदेश समेत महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लगे हैं. इन्हीं संदेशों के आदान-प्रदान में बम में कौन से सामान प्रयोग में लाई जाएंगे इनका भी जिक्र किया गया है.
सूत्रों का कहना है कि आरंभिक जांच के दौरान पाया गया है कि बम बनाने में माचिस की तीलियों के बारूद का प्रयोग किया गया था. बम निम्न क्वालिटी का था लेकिन भीड़ वाली जगह फटने पर बड़ा नुकसान कर सकता था. जांच से जुड़े एक आला अधिकारी ने बताया की इन दोनों के अलावा उमर अलमंडी के संपर्क में और भी कई लोग थेय साथ ही गिरफ्तार आतंकवादियों के पास भी कश्मीर की कुछ लोग आया जाया करते थे, जिनकी गतिविधियां संदेहास्पद पाई गई थी.
सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने लंबी जांच और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के आधार पर इन्हें उस समय गिरफ्तार किया जब भी बम बना चुके थे और अपनी साजिश को अंतिम अमली जाना पहनाने को तैयार थे. इन्हें केवल पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं की हरी झंडी का इंतजार था और टारगेट किसे बनाना है इसके लिए भी इन लोगों की कोशिशें लगातार जारी थी. अब तक की पूछताछ के दौरान गिरफ्तार आतंकवादियों और पहले से गिरफ्तार कुछ आतंकवादियों के बयानों में भी समानताएं मिली है.
नाम बदल जाता है चेहरा वही रहता है यह कहावत पाकिस्तान के ऊपर पूरी तरह से फिट बैठ रही है क्योंकि चाहे आईएसआईएस का खोरासन प्रोविंस हो या फिर अल कायदा का इंडियन मॉडल अब तक की पूछताछ के दौरान पता चला है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने इन दोनों जगहों पर अपने रिटायर्ड अधिकारी बैठा रखे हैं.
फिलहाल इस मामले में पुलिस और खुफिया एजेंसियों की छापेमारी लगातार जारी है और कई संदिग्ध लोगों से लगातार पूछताछ की जा रही है यह भी जानने की कोशिश की जा रही है कि इन लोगों के निशाने पर उत्तर प्रदेश की कौन कौन सी है धार्मिक स्थल थे. मामले की जांच जारी है.
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