उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद में कोविड-19 के खौफ की छाया आम उत्पादकों पर पड़नी शुरू हो गई है. उन्हें अंदेशा है कि लगातार दूसरे साल भी पाबंदी कारोबार को प्रभावित कर सकती है. पिछले साल आम का व्यापार लॉकडाउन के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ था. लॉकडाउन लागू होने से परिवहन और फल का निर्यात रुक गया था. उसके बाद कारोबार की रही सही कसर कीटनाशकों और मजदूरों की अनुपलब्धता ने पूरी कर दी.


आम उगाने वालों पर कोविड-19 का मंडरा रहा खौफ


ऑल इंडिया मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष इसराम अली कहते हैं, "2020 में हमारे कारोबार का साल था और अब जबकि आम का मौसम आनेवाला है, कोविड-19 का खौफ एक बार फिर सिर उठाने लगा है. पिछले साल, हम फल को लॉकडाउन के चलते अन्य राज्यों तक भेज पाने में नाकाम रहे थे. बहुत सारे आम उगाने वाले पिछले साल का अपना कर्ज चुकता कर पाने में असमर्थ रहे हैं." आम उगानेवाले मंसूर मियां आम के व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ने की एक अन्य वजह बताते हैं. उनका कहना है कि खास रिपोर्ट से भी कारोबार में बाधा पैदा हो रही है. रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि आम खरीदते वक्त सूंघना नहीं चाहिए.


दूसरे साल भी पाबंदी व्यापार को कर सकती है खराब


लोग हमेशा से आम को सूंघने के बाद खरीदते रहे हैं. अगर इसको मना कर दिया जाए, तब ग्राहक नहीं खरीदेंगे और इससे उनकी बिक्री असरअंदाज होगी. लखनऊ के किनारे मलीहाबाद, काकोरी और माल तीन तहसील हैं. उनकी पहचान राज्य में आम के बेल्ट के तौर पर होती है. बागवानी विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि जमीन के 23,589 हेक्टेयर पर आम पैदा किया जाता है. कुल आम के उत्पादन में मलीहाबाद का सबसे ज्यादा योगदान माना जाता है. पिछले साल अली ने बताया था कि यूपी में हर साल आम उगानेवाले खाड़ी देशों को करीब 10 टन दशहरी आम निर्यात करते हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते उस साल विदेश से कोई भी खरीदार नहीं आया था.


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