Lumpy Virus: देश के कई राज्यों में लम्पी वायरस कहर बरपा रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक लम्पी वायरल 15 राज्यों के 175 जिलों में 15 लाख से ज्याजा गायों को अपनी चपेट में ले चुका है. अब तक इस वायरस से संक्रमित होने के बाद 75 हजार गायों की मौत हो चुकी है. हालांकि वास्तविक आंकड़े इससे ज्यादा हो सकते हैं. लम्पी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रभावित राज्य बचाव के लिए तमाम उपाय भी कर रहे हैं. वहीं एक राज्य से दूसरे राज्य में संक्रमण भी फैल रहा है.
आंकड़ों की मानें तो राजस्थान के 33 जिलों में लम्पी वायरस फैल चुका है, गुजरात के 33 जिलों में से 26 में ये संक्रमण कहर बरपा रहा है, जबकि पंजाब के 23 जिलों और हरियाणा के सभी 22 व यूपी के 21 जिले इस वायरस की चपेट में है. वहीं लम्पी वायरस के चलते गौ पालन के जरिए आजीविका कमाने वाले परेशान हैं. उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. वहीं दूसरी और दूध की किल्लत भी हो रही है.
गायों को दी जा रही वैक्सीन
इधर लम्पी प्रभावित राज्यों की सरकारें बारिश थमने का इंतजार कर रही है क्योंकि इस संक्रमण के फैलने की वजह बरसात ही बताई जा रही है. बारिश के थमने के साथ ही मच्छर इत्यादि भी कम होंगे और लम्पी का कहर भी थमने लगेगा. वहीं इस दौरान वैक्सीनेशन का काम तेजी से हो रहा है. गायों को लम्पी वायरस से बचाने के लिए गोट पॉक्स वैक्सीन लगाई जा रही है. इसी के साथ बता दें कि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र व भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने स्वदेशी वैक्सीन भी निर्मित कर ली है.
लम्पी की वजह से दूध की आपूर्ति पर पड़ा प्रभाव
लम्पी संक्रमित होते ही गायों की दुग्ध क्षमता कम हो जाती है या पूरी तरह बंद ही हो जाती है. सबसे ज्यादा लम्पी प्रभावित राजस्थान के पांच जिलों में तो इस कारण दुग्ध उत्पादन 30 फीसदी कम हो गया है. वहीं गुजरात में दुग्ध उत्पादन पर 10 फीसदी असर पड़ा है. जबकि पंजाब में 7 प्रतिशत और दुग्ध उत्पादन घट गया है. वहीं आपूर्ति कम हुई तो डेयरी संघों ने दूध के दाम में 2 से 4 रुपये का इजाफा कर दिया है.
लम्पी संक्रमण क्या है?
लम्पी त्वचा रोग (एलएसडी) एक वायरल बीमारी है जो मवेशियों को प्रभावित करती है. यह रक्त-पोषक कीड़ों, जैसे मक्खियों और मच्छरों की कुछ प्रजातियों या टिक्स द्वारा प्रेषित होता है. यह त्वचा पर बुखार और गांठ का कारण बनता है और इससे मवेशियों की मृत्यु हो सकती है.
लम्पी संक्रमण के लक्षण
लम्पी संक्रामक रोग पॉक्सविरिडे नामक वायरस के कारण होता है. इसे नीथलिंग वायरस के रूप में भी जाना जाता है. मवेशियों में एलएसडी के कुछ बुनियादी लक्षण बढ़े हुए लिम्फ नोड्स, लिम्फ त्वचा, बुखार और चलने में कठिनाई हैं.
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