Lumpy Virus: महाराष्ट्र के 20 जिलों में तेजी से फैल रहा लंपी वायरस, अबतक 42 मवेशियों की मौत
Maharashtra News: महाराष्ट्र में अबतक लंपी वायरस के 2386 मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें से 1435 जानवर ठीक हो चुके हैं और 42 मवेशियों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है.
Lumpy Virus Cases In Maharashtra: राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में लंपी वायरस (Lumpy Virus) का कहर बढ़ता जा रहा है. अबतक लंपी वायरस लाखों मवेशियों को अपने चपेट में ले चुका है. लंपी वायरस के चलते हजारों गायों (Cows) की मौत हो चुकी है. इस बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) में भी लंपी वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इसका सबसे अधिक असर महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले (Kolhapur) पर पड़ा है, जहां इस वायरस के चलते कई मवेशियों की मौत हो चुकी है.
यह संक्रामक तेजी से फैल रहा है और जानवरों की जान ले रहा है. कोल्हापुर जिले के हटकनंगले तालुका में इस बीमारी से संक्रमित गायों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इससे संक्रमित जानवरों को रैशेज और बुखार हो जाता है और वे धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं. समय पर उपचार नहीं मिलने पर मवेशियों की मौत हो जाती है.
महाराष्ट्र में हालात
यूपी, राजस्थान समेत कई राज्यों में लंपी वायरस का कहर जारी है. लाखों मवेशियों की इसकी चपेट में आने से मौत हो चुकी है. वहीं, महाराष्ट्र में लंपी वायरस 20 जिलों में 86 तालुका और 310 गांव के मवेशियों को संक्रमित कर चुका है. ताजा जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में अबतक लंपी वायरस के 2386 मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें से 1435 जानवर ठीक हो चुके हैं और 42 मवेशियों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है.
आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में कुल 12,67,511 मवेशियों को लंपी वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन की आवश्यता है लेकिन वर्तमान में राज्य में केवल 1073900 वैक्सीन ही उपलब्ध है. सरकार ने लंपी वायरस से बचाव के लिए राज्य में 9 सितंबर से सभी गाय और बैलों का ट्रांसपोर्टेशन बंद कर दिया है. जिसके अनुसार, एक जिले से दूसरे जिले तक कोई भी गाय अपने मालिक के साथ नहीं जा सकती है. इसके लिए डॉक्टर का सर्टिफिकेट साथ होना जरूरी है.
क्या है एक्सपर्टस् की राय?
पूरे महाराष्ट्र के 20 जिलों तक अब तक यह संक्रमण फेल चुका है. हालांकि, मुंबई में अभी तक लंपी वायरस का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. मुंबई के बाई साकरबाई दिनशाव पेतित एनिमल अस्पताल के पशु चिकित्सक डॉक्टर राजीव गायकवाड़ ने एबीपी न्यूज को बताया के संक्रमित पशुओं में 3 से 5 सप्ताह तक कोई लक्षण नहीं दिखते. उसके बाद जानवरों की आंख और नाक से पानी आना शुरू जाता है. जानवर के पूरे शरीर में गांठें विकसित हो जाती हैं और जानवर पैरों की सूजन के कारण लंगड़ा कर चलता है. यह रोग मक्खियों, मच्छरों और जानवरों को संक्रमित करने वाले टिक्स के कारण फैलता है.
उन्होंने कहा कि किसानों को जानवरों की देखभाल करने की आवश्यकता है. जिस स्थान पर पशुओं को बांधा जाता है, उस स्थान को साफ रखना चाहिए. सुनिश्चित करें कि गौशाला में कोई मच्छर, चिल्ट, मक्खियां न हों. जानवरों में लक्षण दिखे तो दूसरे जानवरों को एक तरफ बांध दें. गायों का दूध इसे प्रभावित नहीं होता, लोगों को दूध को 100 डिग्री तक गरम करके पीना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि फिल्हाल सरकार ने गायों के ट्रांसपोर्ट को बंद किया है, वहीं जानवरों के बाजारों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.
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