Chandra Grahan 2020: चन्द्रमा की वजह से समुद्र में आता है ज्वार-भाटा, यह है वजह
उपछाया चंद्रग्रहण कल 5 जुलाई को लग रहा है. चंद्रग्रहण के समय समुद्र में लहरें उठती या ज्वार भाटा आता है. आइये जानें चंद्रग्रहण और समुद्र में उठने वाली लहरों के बीच क्या है संबंध
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Chandra Grahan 2020: कल यानी 05 जुलाई को लगने वाला चन्द्र ग्रहण उपछाया चन्द्र ग्रहण होगा. इस बार यह चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन लगा रहा है. जो कि भारत में नहीं दिखाई देगा. फिर भी आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 5 जुलाई को यह उपछाया चन्द्र ग्रहण सुबह 8:37 बजे से 11:22 बजे तक चलेगा. यहां पर आपको यह बताया जा रहा है कि चन्द्रमा और समुद्र के बीच क्या सम्बन्ध है?
पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति
सौरमंडल में कुल 8 ग्रह हैं और सौरमंडल के पृथ्वी नामक ग्रह का केवल एक उपग्रह चन्द्रमा है. जिस प्रकार सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य के चारों तरफ अपनी-अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हैं ठीक उसी तरह चन्द्रमा भी अपनी कक्षा में पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता है. चूँकि सौरमंडल में शामिल सूर्य, ग्रहों और उपग्रहों में अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है. इसी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण चक्कर लगाते समय भी ये अपनी कक्षा में ही रहते हैं.
चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर दीर्घवृत्ताकार पथ पर लगाता है. इस प्रकार के पथ पर चक्कर लगाने के कारण चन्द्रमा एक बार पृथ्वी के अत्यंत निकट और एक बार अत्यंत दूर होता है. जब चन्द्रमा पृथ्वी के अत्यंत निकट होता है तो चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल भी अधिक होता है. चन्द्रमा के इस गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव के कारण ही समुद्र में ज्वार-भाटे की घटना घटित होती है. ज्वार चन्द्रमा और सूर्य के आकर्षण बल के कारण उत्पन्न होता है.
ज्वार-भाटा: समुद्र का जल एक निश्चित समय के अंतर पर एक दिन दो बार ऊपर उठता है और नीचे गिरता है. समुद्र के जल (तल) का ऊपर उठना ही ज्वार कहलाता है और समुद्र के जल (तल) का नीचे गिरना ही भाटा कहलाता है. लेकिन एक दिन या 24 घंटे में हर 12 घंटे पर ज्वार नहीं आता है बल्कि यह 12 घंटे 26 मिनट के बाद आता है. ज्वार उत्पन्न होने में 26 मिनट का यह अंतर पृथ्वी की परिभ्रमण गति (अपने अक्ष पर घूमने) के कारण होता है. पृथ्वी का वह हिस्सा जो चन्द्रमा के सामने पड़ता है वहाँ आकर्षण बल अधिक होने के कारण उच्च ज्वार उत्पन्न होता है. इसीलिए पूर्णिमा के दिन तीव्र ज्वार आता है. जबकि पृथ्वी का वह हिस्सा जो चन्द्रमा से सबसे अधिक दूरी पर होता है वहाँ निम्न ज्वार उत्पन्न होता है.
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