Lunar Eclipse, Guru Purnima Live Updates: आज है गुरु पूर्णिमा, अपने गुरुओं को इस तरह करें याद; चंद्र ग्रहण समाप्त, अगला 30 नवंबर को

उपछाया चंद्रग्रहण आज सुबह 8 बजकर 38 मिनट से आरंभ हुआ था जो अब 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो चुका है. आज का ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण था, जो धनु राशि में लगा था.जहां पहले से ही धनु राशि में गुरु और राहु भी मौजूद थे. चंद्रग्रहण के दौरान गुरु की दृष्टि धनु राशि पर थी. ग्रहों और ग्रहण की स्थिति सभी 12 राशियों को प्रभावित कर रही है. इसलिए धनु सहित मेष, कन्या, सिंह और कुम्भ राशि को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 05 Jul 2020 10:38 PM
गुरु पूर्णिमा के पर्व पर ऑनलाइन होंगे प्रवचन

आनंदमार्गियों ने इस बार गुरु पूर्णिमा पर ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया है. गुरु पूर्णिमा के पर्व पर आनंदमार्ग के प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत का प्रवचन होगा. प्रवचन के कार्यक्रम का आयोजन सुबह एवं शाम में किया जाएगा. सभी आनंदमार्गी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन भाग लेंगे.
गुरु पूर्णिमा के पर्व पर ऑनलाइन हो रही है पूजा

कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस साल गुरु पूर्णिमा का स्वरूप बदल गया है. कोरोना संक्रमण के कारण गुरु पूर्णिमा का पर्व ऑनलाइन मनाया जा रहा है. अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता अर्जित करने वाले उच्च लोग अपने - अपने तरीके से गुरुजनों का आभार व्यक्त कर रहे हैं तथा उन्हें याद कर रहें हैं.
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास का अंत है

गुरु पूर्णिमा के बाद वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन से चार महीने तक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं.अध्ययन के लिए अगले चार महीने उपयुक्त माने गए हैं.
पुराने समय में गुरुकुल में रहने वाले शिष्य गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की विशेष पूजा- अर्चना करते थे. तथा गुरु से आशीर्वाद लिया करते थे. इस दिन केवल गुरु से ही नहीं बल्कि घर पर रहने वाले बड़े लोगों जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि से आशीर्वाद लिया जाता है.
गुरु पूर्णिमा की पूजा क्यों की जाती है?

गुरु ही अपने शिष्यों को अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है. सही मार्ग दिखाता है. कोई भी बिना सही मार्गदर्शन के सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है और यह कार्य केवल गुरु ही करता है. इसी वजह से गुरुजनों को सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.
ये है गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी स्नान करें. उसके बाद साफ़ कपड़े पहन लें. मंदिर में चौकी पर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर 12-12 रेखाएं खींचकर व्यास पीठ बनाएं. उसके बाद गुरु मंत्र का जाप करें. फिर गुरु या गुरु की प्रतिमा की कुमकुम, रोली, चंदन लगाकर पूजा करें. उसके बाद प्रसाद वितरण करें. यदि गुरु मौजूद हों तो भोजन कराकर दक्षिणा दें. उसके बाद विदा करें. पैर छूकर आशीर्वाद लें.
आषाढ़ की पूर्णिमा को ही क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का पर्व

गुरु पूर्णिमा का पर्व हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही मनाया जाता है. क्योंकि इसी दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इन्होंने चारों वेदों एवं महाभारत की रचना की थी. इसी कारण से इन्हें वेद व्यास के नाम से भी जाना गया. मान्यता यह भी है कि महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश आषाढ़ की पूर्णिमा को ही दिया था.
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का पर्व

गुरु पूर्णिमा का विशेष पर्व हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा को गुरु की पूजा की जाती है. इस साल यानी 2020 को गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई दिन रविवार को मनाया जा रहा है.
पीएम मोदी ने गुरुजनों को किया सादर नमन

पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरु पूर्णिमा के पवन पर्व पर ट्विट कर शुभकामनाएं देते हुए कहा, 'देशवासियों को गुरु पूर्णिमा की ढेरों शुभकामनाएं. जीवन को सार्थक बनाने वाले गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने का आज विशेष दिन है. इस अवसर पर सभी गुरुजनों को मेरा सादर नमन.'
जिनके नहीं हैं गुरु, वे करें श्री हनुमान जी की पूजा

5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व भी है. यह पर्व गुरु को समर्पित होता है. इसलिए आज सभी लोग अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जो गुरु की पूजा तो करनी चाहते हैं लेकिन उनका कोई गुरु नहीं. वे श्री हनुमान जी को अपना गुरु बनाकर उनकी पूजा कर सकते है.
चंद्र ग्रहण समाप्त, स्नान के बाद कर सकते हैं सारा कम

5 जुलाई को लगा इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण अब समाप्त हो गया. जो लोग गुरु पूर्णिमा की पूजा किसी कारण बस नहीं किये हैं तो वे अब गुरु पूर्णिमा की पूजा कर सकते हैं.
चंद्र ग्रहण समाप्त हो चुका है.ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगाजल से छिड़काव कर शुद्ध करें. इस दिन दान का भी विशेष महत्च है. इस दिन सफेद वस्तुओं का दान कर सकते हैं. इस अतिरिक्त अन्न और धन का भी दान श्रेष्ठ माना गया है. ग्रहण के बाद स्नान करें. स्नान करते समय जल में गंगाजल की कुछ बूंदे मिला लें इससे ग्रहण की हर प्रकार की अशुभता दूर होती है और शरीर पूरी तरह से शुद्ध होता है. स्नान करने के बाद पूजा कर सकते हैं. भगवान शिव की पूजा करें, इसके बाद अन्न भी ग्रहण कर सकते हैं.
चंद्र ग्रहण समाप्त हो चुका है. ये साल का तीसरा चंद्र ग्रहण था जो उपछाया ग्रहण था. यानि इसका प्रभाव भारत पर नहीं था. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब 30 दिन या एक माह के भीतर दो ग्रहण या इससे अधिक ग्रहण लगते हैं तो इसके परिणाम शुभ नहीं आते हैं. साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को लगा था, इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था. इस ग्रहण को भारत में देखा गया था और इसमें सूतक काल मान्य था, यानि ये पूर्ण ग्रहण था. इसके बाद आज यानि 5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगा था. यह ग्रहण धनु राशि में लगा था. जहां पर पहले से ही देव गुरु बृहस्पति मौजूद थे.
बस कुछ पलों में साल का तीसरा चंद्र ग्रहण समाप्त होने जा रहा है. 11 बजकर 21 मिनट पर उपछाया चंद्र ग्रहण समाप्त हो जाएगा. इसके बाद अब अगला चंद्र 30 नवंबर को लगेगा. इस बार का ग्रहण उपछाया होने के बाद भी प्रभावशाली था. इसका मुख्य कारण 30 दिन के भीतर दो ग्रहणों को लगना माना जा रहा है. जब एक माह के भीतर दो ग्रहण लगते हैं तो ज्योतिष शास्त्र में इसके परिणाम शुभ नहीं माने जाते हैं. इसका प्रभाव मानव और भूगोल पर भी पड़ता है.
Chandra Grahan 2020 Live Upadtes: नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए करें ये उपाय

ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करें इससे आपने मन में नकारात्मक विचार नहीं आएंगे. ग्रहण ख़त्म होने पर जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें. भगवान शिव की पूजा करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों का असर नहीं पड़ेगा।
उपछाया चंद्रग्रहण की स्थिति तब बनती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच तो आती है लेकिन तीनों एक ही सीधी रेखा में नहीं होते हैं. यह चंद्रग्रहण सुबह 8:37 बजे शुरू हो चुका है और सुबह 9:59 बजे अधिकतम ग्रहण ग्रास को प्राप्त करेगा और सुबह 11:37 बजे तक समाप्त हो जाएगा.
ज्योतिष शास्त्र चंद्र ग्रहण को एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है. आज 5 जुलाई को धनु राशि में चंद्र ग्रहण लग चुका है, साल का यह तीसरा ग्रहण है इसके पहले 2 ग्रहण और लग चुके हैं. जैसा कि हम जानते हैं चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास है, इसलिए चंद्रमा का प्रभाव पृथ्वी पर सबसे अधिक रहता है. 9 ग्रहों में सूर्य और चंद्रमा ही ऐसे ग्रह हैं जिन्हे आखोंं से देखा जा सकता है.
चंद्र ग्रहण आरंभ हो चुका है. 5 जुलाई के बाद अब अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा. साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी लगा था. इसके बाद दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को लगा था. आज जो चंद्र ग्रहण लग रहा है वो साल का तीसरा चंद्रग्रहण है. अब चौथा ग्रहण जो साल का अंतिम चंद्र ग्रहण होगा वह 30 नवंबर को लगेगा.
चंद्र ग्रहण आरंभ हो चुका है. 8 बजकर 37 मिनट से ग्रहण आरंभ हो चुका है. चंद्र ग्रहण धनु राशि में लग रहा है. इसलिए धनु राशि वाले सावधान रहें. इस दौरान संयम और धैर्य से काम लें. क्रोध से बचें. भगवान स्मरण करें. घर से बाहर न निकलें. गर्भवती महिलाएं विशेष सावधानी बरतें.
चंद्र ग्रहण के दौरान इन मंत्रों का करें जाप, दूर होगी अशुभता-
1-ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ॥
2- ओम आज्यं सुराणामाहारमाज्यं पापहरं परम्। आज्यमध्ये मुखं दृष्ट्वा सर्वपापै: प्रमुच्यते।।
3- घृतं नाशयते व्याधिं घृतंच हरते रुजम्। घृतं तेजोधिकरंणं घृतमायु: प्रवद्र्धते।।
चंद्र ग्रहण आरंभ होने वाला है. कुछ मिनट ही शेष बचे हैं. ग्रहण आरंभ होते ही व्यक्ति को भगवान का स्मरण आरंभ करना चाहिए और चंद्रमा की पीड़ा को दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिए. ऐसा करने से जिन लोगों की जन्म कुंडली में चंद्रमा अशुभ फल दे रहे हैं उन्हें वे अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं. क्योंकि दुख घड़ी में जो व्यक्ति याद करता है और प्रार्थना करता है उस पर चंद्र देव प्रसन्न होते हैं और अशुभता को दूर करते हैं.
चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं है. इसलिए अधिक घबराने की आवश्यकता नहीं है. भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा. क्योंकि भारतीय समयानुसार सूर्योदय के बाद ग्रहण लग रहा है. इसलिए चंद्र ग्रहण नहीं दिखाई देगा. सूतक काल मान्य नहीं होने के कारण किसी भी कार्य को करने में कोई रोक नहीं हैं. सूतक काल मान्य न होने के बाद भी कई लोग ग्रहण के दौरान नियमों का पालन करते हैं. ताकि किसी भी प्रकार की अशुभता न रहे.
चंद्र ग्रहण के समय भोजन को शुद्ध रखना चाहिए. ग्रहण के दौरान भोजन में तुलसी की पत्तियां डाल देनी चाहिए. यदि संभव हो तो कुशा घास भी डाल सकते हैं. ऐसा करने से ग्रहण के दौरान निकलने वाली खतरनाक ऊर्जा का प्रभाव समाप्त हो जाता है. दूध, भोजन और जल में तुलसी के पत्ते डालने से ग्रहण का प्रभाव नहीं होता है.
चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पीड़ित हो जाता है. राहु और केतु चंद्रमा को जकड़ लेते हैं. चंद्रमा इनसे बचने का प्रयास करता है. ग्रहण के समय राहु और केतु बलशाली होते हैं. ऐसे जिन लोगों की जन्म कुंडली में राहु और केतु मजबूत स्थिति में होते हैं. उनके मन में नकारात्मक विचार आते हैं. हिंसा करने की इच्छा आती है. बार बार क्रोध आता है. वाणी भी खराब होती है. इस स्थिति और अशुभता से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
चंद्र ग्रहण कुछ मिनटों के बाद प्रारंभ हो जाएगा. चंद्र ग्रहण के दौरान इन 5 बातों पर जरूर ध्यान दें. चंद्र ग्रहण के दौरान ये 5 कार्य भूलकर भी न करें. 1- ग्रहण के दौरान भोजन न करें, भोजन पकाएं भी नहीं.
2- गर्भवती महिला घर के अंदर ही रहें, बाहर न निकलें.
3- चंद्र ग्रहण के दौरान मन में नकारात्मक विचार न लाएं.
4- चंद्र ग्रहण के दौरान किसी की बुराई और बाणी को खराब न करें.
5- चंद्र ग्रहण के दौरान किसी जानवर को चोट न पहुंचाएं.
Chandra Grahan 2020 Timing: आज गुरु पूर्णिमा के दिन कितने बजे लगेगा चंद्रग्रहण

आज गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण सुबह 8 बजकर 38 मिनट से आरंभ होगा. यह ग्रहण आज सुबह 09 बजकर 59 मिनट पर परमग्रास में होगा और 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. इस प्रकार चंद्रग्रहण की अवधि 2 घंटा 43 मिनट और 24 सेकेंड की होगी। इस उपच्छाया चंद्रग्रहण को अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के हिस्सों में देखा जा सकेगा।
Chandra Grahan 2020 Timing Today: चंद्र ग्रहण एक खास खगोलीय घटना

चंद्र ग्रहण एक खास खगोलीय घटना है, उपछाया चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा जब पृथ्‍वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्‍छाया में आ जाता है, तो इसे चंद्र ग्रहण लगना कहा जाता है। इसे देखने के लिए कोई अतिरिक्‍त सतर्कता और विशेष सावधानी बरतने की जरूरत नहीं होती। चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
5 जुलाई को लगने वाला उपछाया चंद्रग्रहण सुबह 8:37 बजे से शुरू होगा तथा सुबह 11:37 बजे समाप्त होगा. यह चंद्रग्रहण सुबह 9:59 बजे अपने चरम पर होगा. इस ग्रहण की अवधि 2 घंटे 43 मिनट और 24 सेकेंड की है.
सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर लगेगा चंद्रग्रहण

साढ़े तीन घंटे बाद लग रहा है चंद्र ग्रहण, नहीं होगा कोई सूतक काल, आज ही गुरु पूर्णिमा का पर्व भी है. कर सकते हैं गुरु पूर्णिमा की पूजा.
Chandra Grahan 2020 Timing: स्पेशल फिल्टर या ग्लासेज की जरूरत नहीं

स्पेशल फिल्टर या ग्लासेज के बिना ग्रहण नहीं देखना चाहिये, साइंटिस्ट और खगोल शास्त्री इसी तरफ इशारा करते हैं बिना स्पेशल फिल्टर या ग्लासेज के ग्रहण को देखना आपकी आँखों के लिये नुकसानदायक हो सकता है, हालाँकि इस बार आपको किसी तरह की स्पेशल तैयारी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये ग्रहण भारत में नहीं पड़ने जा रहा है.
Chandra Grahan 2020 Date, Lunar Eclipse 2020 Timing in India: इस ग्रहण में नहीं है कोई पाबंदी

उपछाया चंद्रग्रहण सामान्य तौर से दिखने वाला चंद्रग्रहण होगा. इस ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार की धर्म संगत पाबंदी नहीं है, आज पूर्णिमा की चांदनी रात में चांद को देखते हुए खाना भी खा सकते हैं क्योंकि इस ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नहीं है.
Lunar Eclipse 2020, Chandra Grahan 2020 Timing: यह चंद्रग्रहण पर पूरे आकार में नजर आएगा चंद्रमा

इस चंद्रग्रहण को उपछाया चंद्रग्रहण कहा जा रहा है, इस ग्रहण में चंद्रमा पूरे आकार में नजर आएगा. अमूमन ग्रहण में चंद्रमा कटा हुआ दिखाई देता है लेकिन इस बार ग्रहण में चांद कटा हुआ नहीं दिखेगा
उपछाया चंद्रग्रहण और गुरु पूर्णिमा एक साथ
 
चंद्र ग्रहण वाले दिन ही गुरु पूर्णिमा भी है. इस दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. इसलिए इनकी जयंती भी मनाई जाती है. पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने की परंपरा है.
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलायें न करें ये कार्य

1. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के सीधे प्रभाव में नहीं आना चाहिए.

2. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को चाकू-छुरी या तेज धार वाले हथियार का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर नकारात्मक असर हो सकता है.

3. ग्रहण की अवधि में सिलाई-कढ़ाई का कार्य भी न करें और न ही किसी प्रकार की चीज़ों का सेवन करें.
उपछाया चंद्रग्रहण के दौरान होते रहेंगे मंदिरों में पूजा पाठ

चंद्र ग्रहण भारत में सुबह 8:37 बजे से 11:22 बजे रहेगा. हालांकि ग्रहण के दौरान लोग मंदिरों में पूजा पाठ नहीं करते बल्कि भगवान के नाम का स्मरण करते हैं. लेकिन इस बार का ग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण है और यह भारत में दिखाई भी नहीं देगा ऐसे में इसका कोई खास महत्व नहीं है.
गर्भवती महिलाएं रखें विशेष सावधानी

ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के हानिकारक प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर उसका नकारात्मक असर होता है. इस लिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बहुत जरूरी न हो तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.
Lunar Eclipse 2020: करें यह काम होगा फायदा

चंद्र ग्रहण लगने के पहले खाने पीने वाली चीजों में तुलसी दल या तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए. इससे खाना दूषित होने से बच जाता है और ग्रहण की समाप्ति पर इसका उपयोग किया जा सकता है.
चंद्रग्रहण की स्थिति कैसे बनती है?

पृथ्वी अपनी धुरी पर रहते हुए सूर्य की परिक्रमा करती है, इस परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में इस तरह से आ जाती है कि चंद्रमा धरती की छाया से ढक जाता है. तो चंद्रग्रहण लगता है. यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों.

बैकग्राउंड

Lunar Eclipse 2020: हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगने में केवल कुछ घंटे बाक़ी रह गए हैं. यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार सुबह 8 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. इस चंद्रग्रहण के परमग्रास का समय 09 बजकर 59 मिनट है. 5 जुलाई को लगने वाले यह चंद्रग्रहण उपछाया प्रकार का चंद्र ग्रहण है. इसमें चांद थोडा सा धूमिल या मलिन दिखाई देगा. यह चंद्रग्रहण भारत में किसी शहर या स्थान पर नहीं दिखाई देगा लेकिन ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका एवं एशिया के कुछ हिस्सों में नजर आएगा.

इस साल 5 जुलाई को आषाढ़ की पूर्णिमा पड़ रही है साथ ही इसी दिन गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा का पर्व भी है. यह ऐसा लगातार तीसरा साल है जब चंद्रग्रहण आषाढ़ की पूर्णिमा अर्थात गुरु पूर्णिमा को लग रहा है. इसके पहले यह चंद्रग्रहण 2018, 2019 में गुरु पूर्णिमा को लगा था.

रहें इन चीजों से सावधान

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 5 जुलाई को लगने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगेगा. उसी समय धनु राशि में गुरु और राहु भी मौजूद रहेंगे. ऐसे में ग्रहण के दौरान गुरु की दृष्टि धनु राशि पर रहने के कारण ग्रहण का प्रभाव धनु राशि के साथ अन्य राशियों पर भी पड़ेगा. ऐसे में लोगों निम्नलिखित चीजों से सावधान रहना होगा.


यद्यपि यह चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण है. यह भारत में दिखाई भी नहीं देगा. यहां ग्रहण का अशुभ प्रभाव भी नहीं पड़ेगा. फिर भी ज्योतिष शास्त्रियों का मत है कि धनु राशि के लोंगों को यदि जरूरी न हो तो उन्हें घर के बाहर निकलने से बचना चाहिए.


ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के हानिकारक प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर उसका नकारात्मक असर होता है. इस लिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बहुत जरूरी न हो तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.   

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