Lunar Eclipse, Guru Purnima Live Updates: आज है गुरु पूर्णिमा, अपने गुरुओं को इस तरह करें याद; चंद्र ग्रहण समाप्त, अगला 30 नवंबर को
उपछाया चंद्रग्रहण आज सुबह 8 बजकर 38 मिनट से आरंभ हुआ था जो अब 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो चुका है. आज का ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण था, जो धनु राशि में लगा था.जहां पहले से ही धनु राशि में गुरु और राहु भी मौजूद थे. चंद्रग्रहण के दौरान गुरु की दृष्टि धनु राशि पर थी. ग्रहों और ग्रहण की स्थिति सभी 12 राशियों को प्रभावित कर रही है. इसलिए धनु सहित मेष, कन्या, सिंह और कुम्भ राशि को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
आनंदमार्गियों ने इस बार गुरु पूर्णिमा पर ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया है. गुरु पूर्णिमा के पर्व पर आनंदमार्ग के प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत का प्रवचन होगा. प्रवचन के कार्यक्रम का आयोजन सुबह एवं शाम में किया जाएगा. सभी आनंदमार्गी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन भाग लेंगे.
कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस साल गुरु पूर्णिमा का स्वरूप बदल गया है. कोरोना संक्रमण के कारण गुरु पूर्णिमा का पर्व ऑनलाइन मनाया जा रहा है. अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता अर्जित करने वाले उच्च लोग अपने - अपने तरीके से गुरुजनों का आभार व्यक्त कर रहे हैं तथा उन्हें याद कर रहें हैं.
गुरु पूर्णिमा के बाद वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन से चार महीने तक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं.अध्ययन के लिए अगले चार महीने उपयुक्त माने गए हैं.
गुरु ही अपने शिष्यों को अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है. सही मार्ग दिखाता है. कोई भी बिना सही मार्गदर्शन के सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है और यह कार्य केवल गुरु ही करता है. इसी वजह से गुरुजनों को सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी स्नान करें. उसके बाद साफ़ कपड़े पहन लें. मंदिर में चौकी पर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर 12-12 रेखाएं खींचकर व्यास पीठ बनाएं. उसके बाद गुरु मंत्र का जाप करें. फिर गुरु या गुरु की प्रतिमा की कुमकुम, रोली, चंदन लगाकर पूजा करें. उसके बाद प्रसाद वितरण करें. यदि गुरु मौजूद हों तो भोजन कराकर दक्षिणा दें. उसके बाद विदा करें. पैर छूकर आशीर्वाद लें.
गुरु पूर्णिमा का पर्व हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही मनाया जाता है. क्योंकि इसी दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इन्होंने चारों वेदों एवं महाभारत की रचना की थी. इसी कारण से इन्हें वेद व्यास के नाम से भी जाना गया. मान्यता यह भी है कि महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश आषाढ़ की पूर्णिमा को ही दिया था.
गुरु पूर्णिमा का विशेष पर्व हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा को गुरु की पूजा की जाती है. इस साल यानी 2020 को गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई दिन रविवार को मनाया जा रहा है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरु पूर्णिमा के पवन पर्व पर ट्विट कर शुभकामनाएं देते हुए कहा, 'देशवासियों को गुरु पूर्णिमा की ढेरों शुभकामनाएं. जीवन को सार्थक बनाने वाले गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने का आज विशेष दिन है. इस अवसर पर सभी गुरुजनों को मेरा सादर नमन.'
5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व भी है. यह पर्व गुरु को समर्पित होता है. इसलिए आज सभी लोग अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जो गुरु की पूजा तो करनी चाहते हैं लेकिन उनका कोई गुरु नहीं. वे श्री हनुमान जी को अपना गुरु बनाकर उनकी पूजा कर सकते है.
5 जुलाई को लगा इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण अब समाप्त हो गया. जो लोग गुरु पूर्णिमा की पूजा किसी कारण बस नहीं किये हैं तो वे अब गुरु पूर्णिमा की पूजा कर सकते हैं.
ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करें इससे आपने मन में नकारात्मक विचार नहीं आएंगे. ग्रहण ख़त्म होने पर जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें. भगवान शिव की पूजा करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों का असर नहीं पड़ेगा।
1-ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ॥
2- ओम आज्यं सुराणामाहारमाज्यं पापहरं परम्। आज्यमध्ये मुखं दृष्ट्वा सर्वपापै: प्रमुच्यते।।
3- घृतं नाशयते व्याधिं घृतंच हरते रुजम्। घृतं तेजोधिकरंणं घृतमायु: प्रवद्र्धते।।
2- गर्भवती महिला घर के अंदर ही रहें, बाहर न निकलें.
3- चंद्र ग्रहण के दौरान मन में नकारात्मक विचार न लाएं.
4- चंद्र ग्रहण के दौरान किसी की बुराई और बाणी को खराब न करें.
5- चंद्र ग्रहण के दौरान किसी जानवर को चोट न पहुंचाएं.
आज गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण सुबह 8 बजकर 38 मिनट से आरंभ होगा. यह ग्रहण आज सुबह 09 बजकर 59 मिनट पर परमग्रास में होगा और 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. इस प्रकार चंद्रग्रहण की अवधि 2 घंटा 43 मिनट और 24 सेकेंड की होगी। इस उपच्छाया चंद्रग्रहण को अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के हिस्सों में देखा जा सकेगा।
चंद्र ग्रहण एक खास खगोलीय घटना है, उपछाया चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा जब पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है, तो इसे चंद्र ग्रहण लगना कहा जाता है। इसे देखने के लिए कोई अतिरिक्त सतर्कता और विशेष सावधानी बरतने की जरूरत नहीं होती। चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
साढ़े तीन घंटे बाद लग रहा है चंद्र ग्रहण, नहीं होगा कोई सूतक काल, आज ही गुरु पूर्णिमा का पर्व भी है. कर सकते हैं गुरु पूर्णिमा की पूजा.
स्पेशल फिल्टर या ग्लासेज के बिना ग्रहण नहीं देखना चाहिये, साइंटिस्ट और खगोल शास्त्री इसी तरफ इशारा करते हैं बिना स्पेशल फिल्टर या ग्लासेज के ग्रहण को देखना आपकी आँखों के लिये नुकसानदायक हो सकता है, हालाँकि इस बार आपको किसी तरह की स्पेशल तैयारी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये ग्रहण भारत में नहीं पड़ने जा रहा है.
उपछाया चंद्रग्रहण सामान्य तौर से दिखने वाला चंद्रग्रहण होगा. इस ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार की धर्म संगत पाबंदी नहीं है, आज पूर्णिमा की चांदनी रात में चांद को देखते हुए खाना भी खा सकते हैं क्योंकि इस ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नहीं है.
इस चंद्रग्रहण को उपछाया चंद्रग्रहण कहा जा रहा है, इस ग्रहण में चंद्रमा पूरे आकार में नजर आएगा. अमूमन ग्रहण में चंद्रमा कटा हुआ दिखाई देता है लेकिन इस बार ग्रहण में चांद कटा हुआ नहीं दिखेगा
चंद्र ग्रहण वाले दिन ही गुरु पूर्णिमा भी है. इस दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. इसलिए इनकी जयंती भी मनाई जाती है. पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने की परंपरा है.
1. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के सीधे प्रभाव में नहीं आना चाहिए.
2. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को चाकू-छुरी या तेज धार वाले हथियार का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर नकारात्मक असर हो सकता है.
3. ग्रहण की अवधि में सिलाई-कढ़ाई का कार्य भी न करें और न ही किसी प्रकार की चीज़ों का सेवन करें.
चंद्र ग्रहण भारत में सुबह 8:37 बजे से 11:22 बजे रहेगा. हालांकि ग्रहण के दौरान लोग मंदिरों में पूजा पाठ नहीं करते बल्कि भगवान के नाम का स्मरण करते हैं. लेकिन इस बार का ग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण है और यह भारत में दिखाई भी नहीं देगा ऐसे में इसका कोई खास महत्व नहीं है.
ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के हानिकारक प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर उसका नकारात्मक असर होता है. इस लिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बहुत जरूरी न हो तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.
चंद्र ग्रहण लगने के पहले खाने पीने वाली चीजों में तुलसी दल या तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए. इससे खाना दूषित होने से बच जाता है और ग्रहण की समाप्ति पर इसका उपयोग किया जा सकता है.
पृथ्वी अपनी धुरी पर रहते हुए सूर्य की परिक्रमा करती है, इस परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में इस तरह से आ जाती है कि चंद्रमा धरती की छाया से ढक जाता है. तो चंद्रग्रहण लगता है. यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों.
बैकग्राउंड
Lunar Eclipse 2020: हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगने में केवल कुछ घंटे बाक़ी रह गए हैं. यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार सुबह 8 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. इस चंद्रग्रहण के परमग्रास का समय 09 बजकर 59 मिनट है. 5 जुलाई को लगने वाले यह चंद्रग्रहण उपछाया प्रकार का चंद्र ग्रहण है. इसमें चांद थोडा सा धूमिल या मलिन दिखाई देगा. यह चंद्रग्रहण भारत में किसी शहर या स्थान पर नहीं दिखाई देगा लेकिन ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका एवं एशिया के कुछ हिस्सों में नजर आएगा.
इस साल 5 जुलाई को आषाढ़ की पूर्णिमा पड़ रही है साथ ही इसी दिन गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा का पर्व भी है. यह ऐसा लगातार तीसरा साल है जब चंद्रग्रहण आषाढ़ की पूर्णिमा अर्थात गुरु पूर्णिमा को लग रहा है. इसके पहले यह चंद्रग्रहण 2018, 2019 में गुरु पूर्णिमा को लगा था.
रहें इन चीजों से सावधान
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 5 जुलाई को लगने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगेगा. उसी समय धनु राशि में गुरु और राहु भी मौजूद रहेंगे. ऐसे में ग्रहण के दौरान गुरु की दृष्टि धनु राशि पर रहने के कारण ग्रहण का प्रभाव धनु राशि के साथ अन्य राशियों पर भी पड़ेगा. ऐसे में लोगों निम्नलिखित चीजों से सावधान रहना होगा.
यद्यपि यह चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण है. यह भारत में दिखाई भी नहीं देगा. यहां ग्रहण का अशुभ प्रभाव भी नहीं पड़ेगा. फिर भी ज्योतिष शास्त्रियों का मत है कि धनु राशि के लोंगों को यदि जरूरी न हो तो उन्हें घर के बाहर निकलने से बचना चाहिए.
ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के हानिकारक प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर उसका नकारात्मक असर होता है. इस लिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बहुत जरूरी न हो तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.
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