Lutyens Zone: दिल्ली के लुटियंस जोन की कहानी, कितने बंगले हो चुके हैं जर्जर, नहीं झेल पाएंगे भूकंप का झटका
Lutyens Bungalow Zone History: देश और दुनिया के पॉश एरिया की अगर चर्चा होती है तो उसमें लुटियंस दिल्ली का नाम जरूर आता है. ये एक ऐसी जगह है जहां पर एक बार रहने की हसरत लोग रखते हैं.
Lutyens Bungalows Zone: दिल्ली के लुटियंस जोन का नाम सुनते ही दिमाग में जो छवि बनती है वो राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री का आवास, बड़े-बड़े नेताओं से लेकर बिजनेसमैन के घर और देश का सबसे पॉश इलाका. अब ये इलाका इतना खास क्यों है ये तो सभी जानते हैं क्योंकि ये एरिया सत्ता का केंद्र माना जाता है. सभी जगहों पर इस खास इलाके की चर्चा खूब होती है. नेता से लेकर बड़े बिजनेसमैन का सपना होता है कि वो एक बार इस इलाके में रह सकें.
इस कहानी की शुरूआत साल 1911 से होती है जब लुटियंस दिल्ली बनाने का फैसला होता है. किंग जॉर्ज V और उनकी रानी भारत दौरे पर आए हुए थे. उस समय देश की राजधानी कोलकाता हुआ करती थी और इसे दिल्ली लाने का फैसला हुआ. इसकी जिम्मेदारी सर एडविन लुटियन को दी गई. इसके बाद 20 साल में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, इंडिया गेट बना तो इसके साथ लुटियंस बंगला जोन भी बनाया गया. इसमें 26 किमी. का एक एरिया शामिल किया गया जिसमें लुटियंस बंगला जोन बनाया गया. इसमें करीब 1 हजार बंगले हैं जिसमें से कुछ प्राइवेट प्रॉपर्टी भी हैं.
1911 से लेकर 2015 तक कितना बदला एलबीजेड
साल 2015 में भारत सरकार की दिल्ली अर्बन आर्ट कमीशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस इलाके का एक विवरण दिया गया, जिसमें बताया गया कि दिल्ली लुटियंस का असली इलाका 19.12 स्वायर किमी. में फैला था. इसके बाद साल 1988 में ये इलाका बढ़कर 25.88 स्वायर किमी. तक फैल गया. वहीं साल 2003 में लुटियंस बंगला जोन बढ़कर 28.73 स्वायर किमी. में बदल गया. इसके बाद साल 2015 में इसी इलाके को 23.60 स्वायर किमी. में बदलने का प्रस्ताव रखा गया.
बंगलों की उम्र पूरी
साल 2017 में जुलाई के महीने में सरकार ने लोकसभा में कहा था कि बंगलों का हाल बेहाल हो रखा है. सिंगल स्टोरी बंगले होने बाद भी ये भूकंप के झटके नहीं झेल पाएंगे. सभी घर अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं. केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने कहा था कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा किए गए आकलन के अनुसार मौजूदा हालत में लुटियंस बगला जोन में 708 ऐसे बंगले हैं जो भूकंप का झटका नहीं झेल सकते. संरचनात्मक रूप से इन्हें असुरक्षित माना जाता है. ऐसे बंगलों को गिराने /नवीनीकरण/प्रतिस्थापन पर चरणबद्ध तरीके से विचार किया जाता है.
कितने बंगले किसके पास
लुटियंस दिल्ली में टाइप 7 और टाइप 8 के कुल 520 बंगले हैं जिसमें डिपार्टमेंट पूल, जनरल पूल, हाईकोर्ट के जज और सुप्रीम कोर्ट के जज जैसे कॉलम में बांटा गया है. साल 2017 में जारी की गई एक सूची के मुताबिक, टाइप 7 की अगर बात करें तो इसमें डिपार्टमेंट पूल के 194, जनरल पूल के 95, हाईकोर्ट के जज 29 और सुप्रीम कोर्ट के 1 जज रहते हैं. इसके अलावा टाइप 8 के बगलों में डिपार्टमेंट पूल के 58, जनरल पूल के 98, हाईकोर्ट के जज 10 और सुप्रीम कोर्ट के 35 जज रहते हैं. लुटियंस दिल्ली में टाइप 7 और टाइप 8 के बंगलों को सरकारी बंगले भी कहा जाता है.
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