Engineer’s Day 2022:कौन थे एम विश्वेश्वरैया? जिनका जन्मदिन बन गया इंजीनियर्स डे, जानिए उनके बारे में 15 रोचक तथ्य
Engineer’s Day 2022: सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या (Mokshagundam Visvesvaraya) भारत के बड़े इंजीनियर और जानकार रहे हैं. देश में उनका जन्मदिन, 15 सितंबर अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) के रूप में मनाया जाता है.
Engineer’s Day 2022: डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (Mokshagundam Visvesvaraya) जिजीविषा का नाम है. जीवन के संघर्षों से पार पाकर एक साधारण से परिवार के उस लड़के की कहानी जिसने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इतिहास रचा. अपने काम का लोहा मनवाया और भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न हासिल किया. आज इन्ही के नाम पर इनके जन्मदिन पर अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) मनाया जाता है. 15 सितंबर 1861 को मैसूर के कोलार जिले में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के घर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ. विश्वेश्वरैया के पिता श्रीनिवास शास्त्री चिकित्सक होने के साथ साथ संस्कृत के विद्वान भी थे. एम. विश्वेश्वरैया के देश के प्रति किए गए महान कार्यों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए भारत सरकार ने साल 1968 में उनके जन्मदिन को इंजीनियर्स डे (Engineer's Day) के तौर पर मनाने का एलान किया था. हम यहां आपको इंजीनियरिंग को एक नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले एम. विश्वेश्वरैया के बारे में 15 रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं.
1. एम विश्वेश्वरैया एक साधारण परिवार में जन्मे थे. मात्र 12 वर्ष की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया. तमाम कठिनाइयों से गुजरते हुए उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी. बाद में उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना भी की.
2. पढाई भले से ही कठिनाइयों से होकर गुजरी हो, लेकिन एक ऐसा भी समय आया जब उन्होंने पॉलीटेक्निक कॉलेज को 1 लाख रुपये से ज्यादा का दान किया.
3. 1909 में उन्हें मैसूर राज्य का चीफ इंजीनियर का पद दिया गया.
4. हैदराबाद शहर की सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करना एक चुनौती थी. इसके लिए उन्होंने स्टील के दरवाजे के जरिए स्वचालित ब्लॉक सिस्टम को ईजाद किया और पानी के बहाव को रोकने की तरकीब दी. आज यह प्रणाली पूरे विश्व में प्रयोग में लाई जा रही है.
5. विश्वेश्वरैया ने मूसा व इसा नामक दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान तैयार किया था. इसके बाद उन्हें मैसूर का चीफ इंजीनियर नियुक्त किया गया।
6. उन्होंने विशाखापत्तनम बंदरगाह को समुद्री कटाव से बचाने के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मैसूर में कृष्णा राजा सागर (KRS) बांध के निर्माण में वे चीफ इंजीनियर थे.
7. 1912 से 1918 तक एम. विश्वेश्वरैया मैसूर के दीवान रहे.
8. 1928 में रूस ने पहली बार पंचवर्षीय योजना तैयार की, लेकिन विश्वेश्वरैया ने आठ वर्ष पहले ही 1920 में अपनी किताब 'रिकंस्ट्रक्टिंग इंडिया' में इस बारे में चर्चा की थी.
9. एम विश्वेश्वरैया का सपना था कि मैसूर राज्य में एक ऑटोमोबाइल और एक एयरक्राफ्ट फैक्ट्री हो. उन्होने इसके लिए 1935 से प्रयास प्रारंभ किया. उनके ही प्रयासों से बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट फैक्ट्री (अब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स) और बेंगलुरु में प्रीमियर ऑटोमोबाइल फैक्ट्री स्थापित हुई.
10. उन्हें "आधुनिक मैसूर राज्य का जनक" कहा जाता है.
11. एम विश्वेश्वरैया को 1955 में भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न मिला.
12. अंग्रेज सरकार ने भी उन्हे ‘सर’ की उपाधि से भी नवाजा था. इसलिए उन्हें सर एम. विश्वेश्वरैया भी कहा जाता है.
13. एम विश्वेश्वरैया को भारत समेत दुनियाभर से सम्मान और मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी. उन्हें भारत के 8 विश्वविद्यालयों ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था.
14. विश्वेश्वरैया चुस्त कपड़े पहनते थे. वे भाषण देने के पहले उसकी पूरी तैयारी करते थे और अक्सर भाषण लिखकर उसे टाइप भी करवा लेते थे.
15. 14 अप्रैल 1962 को 101 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. लेकिन उनके कालजयी कार्यों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा.
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