लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी के दौरे पर होने वाले कार्यक्रम में मुस्लिम महिलाओं को लाने की जिम्मेदारी मदरसों को सौंप दी है. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं से बातचीत करेंगे. इस कदम का मदरसा शिक्षकों की एक संस्था विरोध किया है.
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी विजय प्रताप यादव ने जिले के सभी फंडेड और गैर फंडेड मदरसों को हाल में भेजे गये पत्र में कहा है कि 22 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी का वाराणसी के डीएलडब्ल्यू में अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ का कार्यक्रम है. इसमें 700 महिलाओं के बैठने की व्यवस्था की गयी है. उस दिन अल्पसंख्यक महिलाओं को कार्यक्रम स्थल पर पहुंचाने का जिम्मा मदरसों को दिया जा रहा है.
बीते 15 सितंबर को लिखी गयी इस चिट्ठी में कहा गया है कि मदरसे कम से कम 25-25 महिलाओं को कार्यक्रम स्थल पर पहुंचाएं. इस सिलसिले में आज यानी सोमवार को एक बैठक जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के कार्यालय में होगी जिसमें मदरसे के एक शिक्षक या शिक्षणेत्तर कर्मचारी को नॉमिनेट कर भेजा जाए, ताकि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बारे में विचार-विमर्श किया जा सके.
इस बीच, टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश के महासचिव दीवान साहब जमां ने इस अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के इस खत में कही गयी बातों का विरोध करते हुए इसे बेजा करार दिया है. उनका कहना है कि सरकार ने मदरसों को बीजेपी कार्यकर्ताओं वाला काम सौंप दिया है.
उन्होंने आदेश को वापस लेने की मांग की.
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर को अपने दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आ रहे हैं. इस दौरान वे रामनगर के सामने घाट पुल और बलुआघाट पुल का उद्घाटन करेंगे. इसके अलावा वह डीएलडब्ल्यू में कई परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे. साथ ही उनका मुस्लिम महिलाओं के साथ संवाद का कार्यक्रम भी है.