नई दिल्ली: भारत अब खुद के लिए ही हथियार नहीं बनाएगा बल्कि दुनिया को भी निर्यात करने के लिए तैयार है यानि मेक इन इंडिया से आगे निकलकर अब भारत 'मेड फॉर द वर्ल्ड' के लिए तैयार है. इसी आगाज के साथ एशिया का सबसे बड़ा एयरो-स्पेस और डिफेंस शो यानि एयरो-इंडिया2021 बेंगलुरू में शुरू हुआ (3-5 फरवरी). रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एयरो इंडिया का उद्घाटन करते हुए कहा कि पूरी दुनिया अब भारत की तरफ बड़े ही आस से देख रही है.
कर्नाटक की राजधानी बेंगुलरू में एयरो-इंडिया के 13वें संस्करण का उद्घाटन करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का विजन है रक्षा क्षेत्र में भारत को एक अहम मुकाम हासिल करना ताकि डिजाइन से लेकर प्रोडेक्शन तक में सरकारी और निजी कंपनियों की भागीदारी हो. इसके लिए भारत ने वर्ष 2024 तक 1.76 लाख करोड़ का टर्न-ओवर रखा है जिसमें 35 हजार करोड़ अकेले हथियारों के निर्यात के लिए है.
रक्षा मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि भारत को कई मोर्चो पर खतरा है, जिसमें स्टेट स्पोंसर टेरेरजिज्म (पाकिस्तान से) और सीमा पर एक-तरफा स्टेट्स क्यो यानि-यथा-स्थिति बदलना है (चीन द्वारा), लेकिन भारत के सैनिकों ने दिखा दिया है कि अपने सीमाओं की रखवाली कैसे की जाती है. और ये सब कुछ संभव हो पाया है भारत की रक्षा-क्षमताओं के कारण. इसीलिए, अब भारत अपने मित्र-देशों को हथियार, फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर निर्यात करना चाहता है.
उद्घाटन समारोह में रक्षा मंत्री, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखो की मौजूदगी में भारत के स्वदेशी फाइटर जेट, एलसीए तेजस, ट्रेनर एयरक्राफ्ट्स--एचटीटी40, आईजेटी, हॉक--डोरनियर एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर्स ने फ्लाईग-डिस्पिले में हिस्सा लिया. इसे आत्मनिर्भर फ्लाईट फॉर्मेशन का नाम दिया गया. हेलीकॉप्टर्स में एचएएल यानि सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड के एएलएच-धुव्र, लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एलसीएच) और लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) ने उड़ान भरी. भारत ने सभी स्वदेशी एयरक्राफ्टस और हेलीकॉप्टर्स को निर्यात करने का प्लान तैयार कर रखा है. कई देशोे ने इन प्लेटफॉर्म्स में अपनी दिलचस्पी दिखाई है. एयरोइंडिया के दौरान एक डिफेंस-एक्सपोर्ट डॉक्यूमेंट भी जारी किया गया. जिसमें एयरक्राफ्ट्स के अलावा मिसाइल, रडार, मिलिट्री-ट्रक्स और युद्धपोत तक भी दिए गए हैं जिन्हे भारत मित्र-देशों को एक्सपोर्ट करना चाहता है.
फ्लाइंग-डिस्पिले में भारत में ही रूस की मदद से तैयार की जा रहे सुखोई फाइटर जेट्स, अमेरिका से लिए गए सी-17 ग्लोबमास्टर, जगुआर ने भी हिस्सा लिया, लेकिन इस फ्लाइंग-डिस्पिले की शुरूआत हुई हाल ही में फ्रांस से लिए गए तीन रफाल लड़ाकू विमानों से. वायुसेना की हेलीकॉप्टर एरोबिक्स टीम (सारंग) और एयरक्राफ्ट टीम (सूर्यकिरन) ने भी फ्लाईंग डिस्पिले में करतब दिखाकर उद्धाटन सेरेमनी में मौजूद लोगों का दिल जीत लिया.
ओपनिंग सेरेमनी में करीब 60 देशों के राजदूत, राजनयिक और मिलिट्री-अटैचे मौजूद थे. इसके अलावा एशिया की सबसे बड़ी एयरो-स्पेस प्रदर्शनी में 600 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं, जिनमें 78 विदेशी कंपनियां हैं.
रक्षा मंत्री ने विदेशी मेहमानों का आहवान करते हुए कहा कि भारत में निवेश की प्रबल संभावनाएं हैं--खास तौर से एयरो-स्पेस इंटस्ट्री में. ऐसे में विदेशी कंपनियां भारत की सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर अपने उपक्रम मेक इन इंडिया के भारत में ही लगाए.
उद्घाटन समारोह के दौरान ही रक्षा मंत्रालय और एचएएल के बीच वायुसेना के लिए 83 एलसीए तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट्स का करार भी हुआ. करीब 83 हजार करोड़ का ये सौदा मेक इन इंडिया के तहत अबतक का सबसे बड़ा रक्षा-करार है.