(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
माधुरी कानितकर बनीं तीसरी महिला लेफ्टिनेंट जनरल, जानिए उनके सफर के बारे में
लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कनितकर से एबीपी न्यूज़ ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि आखिर कैसे वो फौज में आईं और इस पद तक पहुंचीं.
नई दिल्ली: माधुरी कनितकर देश की तीसरी महिला लेफ्टिनेंट जनरल बनी हैं. 37 साल आर्मी में बिता चुकीं माधुरी कनितकर पहली महिला पीडियाट्रिशियन हैं जो इस पद तक पहुंची हैं. लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कनितकर से एबीपी न्यूज़ ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि आखिर कैसे वो फौज में आईं और इस पद तक पहुंचीं.
उन्होंने बताया, ''सबसे पहले इरादा बना डॉक्टर बनने का और वह इसलिए क्योंकि मेरी दादी डॉक्टर थी. वह एक बाल विधवा थी जो 1900 में ही डॉक्टर बनी थीं. हम दादी जैसा बनना चाहते थे. ए एफ एम सी का माहौल इतना अच्छा था कि मैंने सोच लिया कि यही से मेडिकल भी करूंगी. मेरे हस्बैंड से मेरी मुलाकात यहीं हुई थी. फौज के जीवन, अनुशासन से मैं बहुत प्रभावित थी. अब फौज में 37 साल निकल चुके हैं.''
उन्होंने आगे कहा,''लड़कियों के लिए डिफेंस फोर्सेज डिफिकल्ट तो माना जाता है. पापा रेलवे में थे इसलिए हम हमेशा घूमते ही रहते थे इसलिए मुझे उतनी डिफिकल्टी नहीं हुई. मैं स्पोर्ट्स में भी काफी आगे थी. फौज में कठिनाई काफी है मगर अपॉर्चुनिटी भी बहुत है. मसला रेश्यू मेंटेन करने का भी है. एएफएमसी में हमारे समय पर 20 लड़कियां और 100 लड़के लेते थे अब 30 लड़कियां और 105 लड़कों का रेश्यो हुआ. अभी 115 हैं. डिफिकल्ट तो है ही. हाई एल्टीट्यूड पर लड़कियां अब जा रही हैं. धीरे-धीरे हम कर रहे हैं. देखा जाए तो लड़कियां ज्यादा टफ होती हैं. लेबर पेन जैसी चीजें भी झेल लेती हैं. मैं लड़कियों को हमेशा बोलती हूं कि अगर सेफ एनवायरमेंट में काम करना है तो आर्मी में आइए. यहां पर बेहद ही सम्मान दिया जाता है. लड़कियों के लिए इससे सेफ जगह नहीं हो सकती.''
लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी के पति राजीव भी लेफ्टिनेंट जनरल पद पर हैं. ऐसा पहली बार है जब पति पत्नी 3 स्टार होल्ड करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पद पर हैं. कपल्स गोल के बारे में बात करते हुए वो कहती हैं, ''जब बेटा पैदा हुआ तब मैंने सोचा कि छोड़ दूं. मगर उस वक्त मेरे हस्बैंड ने एक रीडर्स डाइजेस्ट में पढ़ा था कि ग्रो टुगेदर डोंट ग्रो अपार्ट. इसी को जिंदगी भर फॉलो करते रहे. अगर किसी को पीछे होना पड़ रहा है तो दूसरा साथ दें. इट इज इंपोर्टेंट टू ग्रो, टुगेदर. यही कपल्स गोल है.''
आगे आने वाले चैलेंज के लिए लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी का बेहद सीधा सा जवाब है, वो कहती हैं,''जब काम में नयापन आता है तो काम करने का हौसला बढ़ता है. पहले मैं डॉक्टर थी फिर मैं पीडियाट्रिशियन बनी. उस माहौल से उठ कर मैं एडमिनिस्ट्रेशन में आ गई. फाइलों में काम किया ऑफिस में काम किया. मैंने हमेशा सोचा कि मैं हर चैलेंज को अपना लूं. मैं three-in-one रही हूं. एक सोल्जर, एक डॉक्टर और और एक टीचर. एक ही जिंदगी में मैं तीनों चीजें रही हूं.''