पिछले एक साल से देश में कोरोना का कहर जारी है. इस दौरान देशभर में ज्यादातर समय लॉकडाउन जैसी स्थिति है जिसके कारण लोगों की आवाजाही पर लगाम लगा हुआ है. लोग सैर-सपाटे की बात भूल गए हैं लेकिन यह देश की जैवविविधता के लिहाज से अच्छा समय है. जंगलों में मानव का हस्तक्षेप कम होने से जानवरों की स्वच्छंदता बढ़ गई है जिसके कारण उनके प्रजनन दर में वृद्धि होने लगी है. यही कारण है कि मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 41 नए शावकों की आमद हुई है.


नए शावकों का परवरिश चिंता का विषय 
अधिकारियों ने Bandhavgarh Tiger Reserve  में 41 बाघ शावकों की फोटो को कैप्चर किया है. ये शावक 12 महीने से छोटे हैं. यानी ये सभी शावक महामारी के दौरान पैदा हुए. टाइगर रिजर्व के एक अधिकारी ने बताया कि हमारा प्रबंधन ज्यादातर समय महामारी के दौरान वन्य जीव संरक्षण में लगा रहा, जिसका परिणाम है कि 41 नए शावकों ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दस्तक दी. टीओआई में छपी खबर के मुताबिक यह परिणाम निश्चित रूप से उत्साहजनक है लेकिन दूसरी तरफ चिंता भी है कि इस टाइगर रिजर्व में पहले से ही बाघों की संख्या ज्यादा है और नए बाघों के आने से जानवरों में क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता बढ़ने की आशंका है. बांधव टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क देश बाघों के लिए देश का सबसे लोकप्रिय रिजर्व है और यहां बाघों की सबसे ज्यादा संख्या है.


बाघों पर शिकारियों की नजर 
1968 में इसे राष्ट्रीय पार्क घोषित किया था, तब से यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. All India Tiger Estimation - 2018 के मुताबिक देश में 2967 बाघ हैं. इनमें मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ है. मध्य प्रदेश में 526 बाघ है जो कर्नाटका से सिर्फ दो ज्यादा है. बाघों की घटती हुई संख्या के बाद पिछले एक दशक से इसकी संख्या बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बाघ मिशन चलाया जा रहा है. अधिकारी ने बताया कि बांधवगढ़ अपनी क्षमता से ज्यादा जानवरों को ढो रहा है. इसकी वजह से जानवरों में आपसी कलह बढ़ गया है. बूढ़े बाघ बांधवगढ़ से बाहर आशियाना तलाशने के लिए निकलने लगे हैं. हम इस माइग्रेशन को रोक भी नहीं सकते. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में बाघों के इस क्षेत्र से बाहर निकलने के कारण शिकारियों की नजर इन पर पड़ गई है. निकलने के दौरान कम से कम 25 बाघों को शिकारियों ने मार गिराया है. अक्सर शिकारी इन्हें बिजली के जाल में फंसाकर मार गिराते हैं.