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मध्य प्रदेश में डकैत पहले बने नेता, अब चुनावी राजनीति से हो रहे हैं दूर
25 साल से अधिक समय तक चंबल घाटी में आतंक मचाने के बाद मलखान सिंह ने करीब साढ़े तीन दशक पहले अर्जुन सिंह सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था और अब वे बंदूक छोड़ आध्यात्मिक मार्ग अपना चुके हैं.
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भोपालः मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की किसी भी सीट पर इस बार न तो कोई डकैत चुनावी मैदान में उतरा है और न ही किसी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर रहा है. पिछले तीन दशक में पहला मौका है, जब ऐसा हो रहा है. हालांकि, इससे पहले डकैतों के चुनाव में उतरने के लिए प्रदेश के ग्वालियर, चंबल एवं विन्ध्य क्षेत्र मशहूर रहे हैं . कुछेक डकैत विधायक बनकर सुर्खियों में भी रहे हैं.
साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व डकैत प्रेम सिंह कांग्रेस की टिकट पर मध्यप्रदेश के सतना जिले की चित्रकूट सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्होंने बीजेपी के सुरेन्द्र सिंह गहरवार को 10,970 मतों से पराजित किया था. दस्यु जीवन से राजनीति का सफर करने वाले प्रेम सिंह इस सीट से तीन बार विधायक रहे. वह वर्ष 1998 एवं वर्ष 2003 में भी कांग्रेस की टिकट पर ही जीत कर विधायक बने थे.
सतना के पत्रकार राजेश द्विवेदी ने बताया कि प्रेम सिंह के निधन के बाद डकैतों द्वारा चुनाव को प्रभावित करने और उनके द्वारा किसी भी सीट से चुनाव जीतने का युग मध्य प्रदेश में अब खत्म हो गया है.
राजनीति के मैदान में अब घट रही है डकैतों की गिनती
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र के बीहड़ में डकैतों के दो गैंग मौजूद हैं, जिनमें बबली कौल एवं लवलेश कौल शामिल हैं. लेकिन इन दोनों गैंगों की राजनीतिक अखाडे में कोई गिनती नहीं है.
द्विवेदी ने बताया कि प्रेम सिंह से पहले पूर्व खूंखार डकैत शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ चित्रकूट एवं मध्य प्रदेश और उत्तर प्ररेश से सटे हुए विंध्य क्षेत्र में चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्शाता था और चुनावों में अपना असर दिखाता था.
ठीक इसी तरह से एक अन्य डकैत अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया भी चुनावों को प्रभावित करता था. इन दोनों डकैतों की ग्रामीण इलाकों के वोट विशेष रूप से पटेल जाति के लोगों पर प्रभाव रहता था. पटेल मध्य प्रदेश में ओबीसी में आता है.
यूपी और एमपी दोनों जगहों पर रहा है ददुआ वर्चस्व
उन्होंने कहा कि ददुआ का मध्य प्रदेश से सटे हुए उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक वर्चस्व रहा है. वहां पर उसके छोटे भाई बाल कुमार पटेल मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) से समाजवादी पार्टी की टिकट पर साल 2009-2014 तक सांसद रहे हैं.
मध्य प्रदेश के सतना जिले से बाल कुमार पटेल ने कहा, 'वर्तमान में मैं मध्य प्रदेश समाजवादी पार्टी का चुनाव कमेटी का सदस्य हूं.' उन्होंने कहा कि उनका भतीजा एवं ददुआ का बेटा वीर सिंह वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक उत्तर प्रदेश के चित्रकूट सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर विधायक रहा है. ठीक इसी तरह से मेरा बेटा राम सिंह भी वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ सीट से समाजवादी पार्टी का विधायक रहा है.
बाल ने बताया, 'वर्तमान में राम सिंह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले के समाजवदी पार्टी के अध्यक्ष हैं.' उन्होंने कहा, 'मेरा भतीजा वीर सिंह भी वर्तमान में मध्य प्रदेश के सतना जिले का समाजवादी पार्टी का चुनाव प्रभारी है.'
यूपी में मारा गया था ददुआ
पत्रकार द्विवेदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बीएसपी सुप्रीमो मायावादी ने जब डकैतों के खिलाफ अभियान चलाया था तो उस दौरान पुलिस मुठभेड में ददुआ एवं ठोकिया को क्रमश: वर्ष 2006 एवं वर्ष 2007 में मध्यप्रदेश से सटे हुए उत्तर प्रदेश के गांवों में ढेर कर दिया गया था.
25 साल से अधिक समय तक चंबल घाटी में आतंक मचाने के बाद मलखान सिंह ने करीब साढ़े तीन दशक पहले अर्जुन सिंह सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था और अब वे बंदूक छोड़ आध्यात्मिक मार्ग अपना चुके हैं.
बड़ी-बड़ी मूंछ रखने वाले मलखान सिंह ने पंचायत चुनाव लड़ा था और इसमें जीत भी हासिल की थी. वह विभिन्न राजनीतिक दलों से भी जुड़ा रहा. उसने वर्ष 1996 में भिंड से समाजवादी पार्टी की टिकट पर विधानसभा का उपचुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गया.
मलखान ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के और समाजवादी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार भी किया. पिछले दो विधानसभा चुनाव में उसने बीजेपी के प्रत्याशियों का समर्थन किया और उनके लिए वोट भी मांगे.
पान सिंह तोमर के रिश्तेदार पूर्व डकैत बलवंत सिंह क्यों हैं नाराज
वहीं, मधुमेह से पीड़ित डाकू मनोहर सिंह गुर्जर 90 के दशक में बीजेपी में शामिल हुए और वर्ष 1995 में भिंड जिले की मेहगांव नगरपालिका के अध्यक्ष बने. हालांकि, अब वह अपना छोटा-मोटा निजी कारोबार करते हैं.
वहीं, पूर्व डकैत बलवंत सिंह ने बताया कि वह इस साल एससी/एसटी एक्ट में हुए संशोधन से नाराज हैं, लेकिन इसके बाद भी मैं किसी राजनीतिक दल को इस चुनाव में समर्थन नहीं कर रहा हूं. बलवंत जाने माने डकैत पान सिंह तोमर का रिश्तेदार है.
वहीं, ग्वालियर के समाजसेवी डाक्टर केशव पांडे ने बताया कि चंबल के बीहड़ों में खौफ से दहलाने वाले पूर्व डाकू मलखान सिंह एवं डाकू मनोहर सिंह गुर्जर ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था. डाक्टर पांडे ने बताया कि ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र में डकैतों का प्रभाव अब खत्म हो गया है.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
Opinion: 'आस्था, भावुकता और चेतना शून्य...', आखिर भारत में ही क्यों होती सबसे ज्यादा भगदड़ की घटनाएं
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