Madhya Pradesh Election 2023: निशा बांगरे: संविधान को साक्षी मान शादी करने वाली डिप्टी कलेक्टर के साथ क्या सियासत खेल रही बीजेपी-कांग्रेस?
Election News: मध्य प्रदेश की चर्चित SDM निशा बांगरे का इस्तीफा राज्य सरकार ने जिस समय स्वीकार किया है उसे लेकर अब तमाम चर्चाएं शुरू हो गईं हैं. वहीं निशा ने आमला सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश के छतरपुर की एसडीएम निशा बांगरे एक बार फिर चर्चा में हैं. राज्य सरकार ने मंगलवार (24 अक्टूबर) को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया. पर चर्चे की वजह उनका इस्तीफा मंजूर होना नहीं, बल्कि मंजूरी से ज्यादा इसकी टाइमिंग है. उनका इस्तीफा कांग्रेस की ओर से मध्य प्रदेश की आमला सीट से अपना प्रत्याशी घोषित करने के एक दिन बाद मंजूर किया गया है.
माना जा रहा था कि बांगरे कांग्रेस के टिकट पर आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. कांग्रेस भी इसके लिए निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर होने का इंतजार कर रही थी. पर इसे लेकर हो रही देरी और नॉमिनेशन में बचे कम दिन की वजह से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. अब इसके बाद से निशा बांगरे के भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. जैसे वह अब क्या करेंगी, अगर चुनाव लड़ेंगी तो किस सीट से और किसके टिकट पर, यहां हम देंगे आपको ऐसे ही सवालों के जवाब.
बीजेपी ने इस तरह बिगाड़ा खेल!
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी ने उनका इस्तीफा स्वीकार करने में जानबूझकर ये देरी की है, क्योंकि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से 229 पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था. बस उसने आमला पर ही प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया था. पार्टी के सूत्रों ने बताया था कि कांग्रेस के नेता भी उन्हें आमला से प्रत्याशी बनाने के पक्ष में थे. कांग्रेस बस निशा बांगरे के इस्तीफा स्वीकार होने का इंतजार कर रही थी, जबकि बीजेपी कांग्रेस का इंतजार बढ़ा रही थी. नामांकन में बहुत कम दिन बचे होने की वजह से कांग्रेस ने जैसे ही इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा, वैसे ही बीजेपी ने निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर कर कांग्रेस और निशा बांगरे को झटका दिया.
कांग्रेस का कहना- बीजेपी ने जानकर ऐसा किया
कांग्रेस मीडिया प्रभारी के.के. मिश्रा का कहना है कि, ''हमारी पार्टी इंतजार कर रही थी कि सरकार उनका इस्तीफा कब स्वीकार करे और वह हम उन्हें टिकट दें लेकिन बीजेपी ने इसे बहुत चालाकी से खेला. उन्होंने सोमवार को ही उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था, लेकिन कांग्रेस की ओऱ से अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद 23 अक्टूबर का आदेश मंगलवार को जारी किया.'
क्यों कांग्रेस अब भी दे सकती है मौका?
भले ही अब नॉमिनेशन के लिए बहुत कम समय बचा है, लेकिन आमला सीट से न तो निशा बांगरे ने उम्मीद छोड़ी है और न ही कांग्रेस ने. बताया जा रहा है कि पार्टी इस सीट पर उम्मीदवार बदल सकती है. इस बात को बल इससे भी मिलता है कि इस्तीफा स्वीकार होने के अगले ही दिन बांगरे ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. निशा बांगरे ने कहा कि वह चुनाव लड़ेंगी और इसके लिए वह बुधवार, गुरुवार या शुक्रवार में से किसी एक दिन अपना नामांकन दाखिल कर सकती हैं.
क्या हैं विकल्प, कौन-कौन दे सकता है टिकट?
निशा बांगरे ने मीडिया को बताया कि “कांग्रेस ने आमला सीट मेरे लिए छोड़ने की बात कही थी. अब इस्तीफा मंजूर हो गया है, तो उनसे उनका निर्णय पूछा है. उनका जो भी फैसला हो मैं चुनाव लड़ूंगी और सत्य पर चलने वालों की बाधा बनने वालों को जवाब दूंगी.” वहीं, निशा के पास विकल्प कम नहीं हुए हैं. कांग्रेस के अलावा वह चाहें तो बीएसपी, आप और समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपना दावा ठोंक सकती हैं. इसके अलावा वह निर्दलीय भी चुनाव में उतर सकती हैं.
क्यों अब भी दांव लगाना चाहती है कांग्रेस?
कांग्रेस के निशा बांगरे पर दांव लगाने की सबसे बड़ी वजह आमला सीट का जातीय समीकरण और इस पर जीत हासिल करने का बीजेपी का सपना है. अभी कांग्रेस ने सोमवार देर रात मनोज मालवे को अपना प्रत्याशी घोषित किया है.
कांग्रेस के निशा पर रिस्क की दूसरी वजह यहां का राजनीति समीकरण है. आमला विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में आती है. साल 2018 में अमला में भारतीय जनता पार्टी के डॉ योगेश पांडगर ने कांग्रेस के मनोज माल्वे को तकरीबन 19 हजार वोटों के अंतर से हराया था. निशा बांगरे खुद अनुसूचित जाति से आती हैं. इस सीट पर इस वर्ग के वोटरों की संख्या अच्छी खासी है जो 2018 के चुनाव में छिटक गए थे. तब बीजेपी के डॉ. योगेश पांडगर को 73 हजार 481 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के मनोज माल्वे को 54 हजार 284 वोट ही हासिल हुए थे. अब कांग्रेस इस वोट बैंक को जाने नहीं देना चाहती.
कौन हैं निशा बांगरे?
निशा बांगरे मूलरूप से बालाघाट जिले की रहने वाली हैं. निशा एमपीपीएससी से चयनित वर्ष 2018 की राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी थीं. इस्तीफा देते वक्त वह छतरपुर जिले के लवकुशनगर में एसडीएम पद पर तैनात थीं. 34 साल की निशा ने इंजीनियरिंग कंप्लीट करने के बाद गुड़गांव एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब शुरू की थी. यहां काम करते हुए वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगीं. पीएससी की 2016 में हुई परीक्षा पास करने वाली निशा को तब डीएसपी पद मिला था. दूसरी बार में वह डिप्टी कलेक्टर बनीं.
संविधान को साक्षी मानकर की थी शादी
निशा बांगरे सबसे ज्यादा मशहूर तब हुईं थीं जब उन्होंने गणतंत्र दिवस के मौके पर बैंकॉक में सुरेश अग्रवाल के साथ भारतीय संविधान को साक्षी मानते हुए शादी की थी. सुरेश अग्रवाल फिलहाल एक मल्टी नेशनल कंपनी में अधिकारी हैं और उनका 3 साल का एक बेटा भी है.
इस तरह विवादों में घिरती गईं निशा
बताया गया है कि इसी साल 25 जून को निशा ने बैतूल जिले के आमला में अंतरराष्ट्रीय सर्व धर्म शांति सम्मेलन का आयोजन किया था. यह आयोजन गृह प्रवेश के मौके पर था. इसमें शामिल होने के लिए उन्होंने छुट्टी मांगी थी, लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली. छुट्टी न मिलने से नाराज निशा ने फौरन इस्तीफा दे दिया. उनका आरोप था कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है.
इसके बाद राज्य सरकार ने भी उन्हें घेरना शुरू किया. सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया और उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी. निशा बांगरे के खिलाफ 21 अगस्त, 2023 को सिविल सेवा आचरण नियम 1985 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए विभागीय जांच शुरू की गई थी.
अपना इस्तीफा मंजूर कारने के लिए निशा बांगरे हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट भी गईं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वह हाई कोर्ट जबलपुर के पास गईं. हाई कोर्ट ने शासन को निर्देश दिए थे कि सोमवार यानी 23 अक्टूबर तक इस मामले का निपटारा किया जाए.
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