भोपाल: मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच विधानसभा स्पीकर ने छह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. ये सभी छह नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के हैं और इन्होंने कांग्रेस में लौटने से इनकार कर दिया है. जिन विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए गए हैं उनमें गोविन्द राजपूत, प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रद्यूमन सिंह तोमर शामिल हैं. ये सभी कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे, जिन्हें कल ही मुख्यमंत्री की सिफारिश के बाद राज्यपाल ने हटा दिया था.


बता दें कि सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद इन नेताओं ने भी पार्टी से नाता तोड़ने का एलान किया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मंत्री पद से हटाने की सिफारिश की थी.



ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 11 मार्च को बीजेपी का दामन थाम लिया था और इससे एक दिन पहले कांग्रेस से इस्तीफा दिया था. सिंधिया के समर्थन में 22 विधायक हैं. हालांकि कांग्रेस का दावा है कि इन विधायकों में ज्यादातर को जबरन होटलों में रखा गया है. 22 में से अब 6 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया गया है.


व्हिप जारी
मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में उपस्थित रहने के लिए कांग्रेस ने अपने विधायकों को व्हिप जारी कर दिया है. कांग्रेस के मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद सिंह ने थ्री लाइनर व्हिप जारी किया.


इसमें कहा गया है कि विधानसभा के पंचम सत्र के समस्त कार्य दिवस में अर्थात 16 मार्च से 13 अप्रैल तक सभी विधायक भोपाल में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें. व्हिप में आगे कहा गया है कि सभी सदस्य संपूर्ण कार्यवाही में उपस्थित रहें और किसी भी स्थिति में अनिवार्यत: शासन के पक्ष में मतदान करें.


विधानसभा का गणित
विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सदस्यों में से दो स्थान रिक्त हैं, यानी कुल 228 विधायक हैं. इनमें कांग्रेस के 114, बीजेपी के 107, बसपा के दो, सपा का एक और निर्दलीय चार विधायक हैं. कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. इनमें से छह का इस्तीफा स्वीकार किया गया है.


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