Madhya Pradesh Power Crisis: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक बार फिर ब्लैक आउट (Blackout) का खतरा मंडरा रहा है. वजह ताप विद्युत संयंत्रों (Thermal Power Plants) में कोयले (Coal) की आपूर्ति में कमी बताई जा रही है. रबी सीजन में बिजली (Power) की मांग अधिक होती है ऐसे वक्त में बिजली उत्पादन कम हो गया है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश के ताप गृहों में दो से सात दिन का कोयला ही बचा है. ऐसे में मध्य प्रदेश के ताप बिजली घर कभी भी प्रदेश के घरों की बत्ती गुल कर सकते हैं. इससे पहले इन बिजली घरों में कोयले की आपूर्ति बारिश के वक्त कम हो गई थी. जिसके कारण अभी भी संकट बरकरार है.


कोयले की कमी के कारण बिरसिंहपुर के संजय गांधी ताप विद्युत गृह की एक इकाई 210 मेगावाट की कोयले की कमी के कारण बंद की गई है. श्रीसिंगाजी ताप गृह की 600 मेगावाट क्षमता वाली दो नंबर की बिजली यूनिट 5 जनवरी से बंद कर दिया गया है.


अमरकंटक ताप गृह मे रोज़ाना 4000 टन कोयले की ज़रूरत है. हालांकि यहां कोयला स्टॉक में है. यहां 210 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है फिलहाल 149 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. संजय गांधी ताप गृह में 18000 टन रोज़ाना कोयले की की ज़रुरत है जबकि 70,000 टन स्टॉक में है.


संजय गांधी ताप गृह की क्षमता 1340 मेगावाट है जबकि यहां उत्पादन हो रहा है 477 मेगावाट. सारणी ताप गृह में रोज़ाना की ज़रूरत 20500 टन है, स्टॉक 38300 टन है. इसकी क्षमता 1330 मेगावाट है, उत्पादन हो रहा है 253 मेगावाट. श्रीसिंगाजी ताप गृह में 35 हजार टन की ज़रुरत है, स्टॉक है 1.90 लाख टन का. क्षमता है 2700 मेगावाट, उत्पादन हो रहा है 1708 मेगावाट.


शिवराज सरकार के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह कहते है कि कोयले के स्टॉक की थोड़ी दिक्कत है, लेकिन बिजली उपभोक्ताओं को दिक्कत नहीं होगी. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हमारे प्लांट कम लोड पर चल रहे हैं. प्लांट में मैंटनेंस चल रहा है. कोयले का संकट है लेकिन उसके कारण आम उपभोक्ताओं को परेशान नहीं होने देंगे.


वहीं विपक्ष कह रही है कि ये सरकार की लापरवाही है. कांग्रेस नेता अजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है अगर कम समय के लिये कोयला है तो ये नौबत क्यों है जेनेचरिटिंग यूनिट शटडाउन हो जाती है तो चालू करने में वक्त लगता है.


मध्य प्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी में रोजाना कोयले की खपत करीब 50 हजार मीट्रिक टन है, जबकि आपूर्ति 40 से 45 हजार मीट्रिक टन ही है. यही वजह है कि स्टॉक लगातार घट रहा है. बता दें कि नए साल से प्रदेश में बिजली महंगी हो गई है. हर यूनिट पर 14 पैसे फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट (एफसीए) व दो पैसे प्रति यूनिट विद्युत उपकर बढ़ा दिया गया है.


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