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फिर अटका मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार, जानिए कहां फंस रहा है शिवराज का गणित?
शिवराज सिंह चौहान अपने ज्यादा से ज्यादा पुराने मंत्रियों को एक बार फिर से शामिल करना चाहते हैं.शिवराज कांग्रेस छोड़कर आए सिंधिया समर्थकों को शामिल करने को तैयार हैं लेकिन फिर भी आलाकमान ने सहमति नहीं दी है.
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भोपालः मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार को सौ दिन पूरे हो रहे हैं, मगर आलम ये है कि शिवराज अपनी टीम यानी कि मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पा रहे हैं. रविवार की शाम और सोमवार को पूरा दिन दिल्ली में बिताने के बाद शिवराज सिंह आज सुबह भोपाल लौटे हैं, मगर मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा इसका जवाब अभी तक उनके पास नहीं है.
मध्य प्रदेश में ये पहली बार हो रहा होगा कि किसी मुख्यमंत्री को अपने विस्तार के लिये इतने पापड़ बेलने पड रहे हैं और वो भी शिवराज सिंह सरीखे लोकप्रिय और सबसे लंबे समय तक प्रदेश के सीएम का रिकॉर्ड बनाने वाले मुख्यमंत्री के साथ. मगर ये बीजेपी है यहां संगठन के आगे सत्ता पानी भरती है और ये बात एक बार फिर सिद्ध हो गयी.
ज्यादा मंत्री पद की मांग कर रहा सिंधिया खेमा
शिवराज सिंह अपने मंत्रिमंडल की टीम में कांग्रेस से मंत्री पद छोड़कर अब बीजेपी में आये पूर्व मंत्रियों के साथ-साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थित दूसरे लोगों को भी मंत्री बनाने के लिये तैयार हैं. इसके बाद भी आलाकमान मंत्रिमंडल को हरी झंडी नहीं दे रहा, जो कि हैरानी की बात है.
दिल्ली की बैठकों से जो बात छन कर आ रही है, उससे पता चल रहा है कि शिवराज अपनी टीम में अपने पुराने मंत्रिमंडल के साथियों को ज्यादा से ज्यादा शामिल करने पर अड़े हैं, तो आलाकमान नये लोगों को मौका देना चाहता है. इससे बात आगे बढती है, तो फिर सिंधिया के मंत्रियों की चाहत बढ़ गयी है. उनके कोटे के दो तो मंत्री बन गये हैं, लेकिन पहले आठ और अब दस लोगों के नाम बीजेपी को देकर उनको मंत्री बनाने की जिद पर अड़े हैं.
शिवराज की परेशानी ये है कि यदि सिंधिया समर्थक बढ़ेंगे, तो उनके साथी कम होते जायेंगे. इसलिये कई दौर की बैठकों के बाद भी सहमति नहीं बन पा रही है. इसके अलावा एक पेंच उपमुख्यमंत्री का भी उठ गया है. शिवराज सरकार के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा इस मौके का उपयोग संगठन से उनके पुराने वायदे पूरा करवाने में करना चाहता है.
उपमुख्यमंत्री के लिए दम लगा रहे नरोत्तम मिश्रा
ये सब जानते हैं कि नरोत्तम, कमलनाथ सरकार को गिराने का अभियान चलाने में अगुआ रहे हैं. वो सरकार बनने के पहले दिन से उसे गिराने के गुणा-भाग में लगे थे और इसे छिपाते भी नहीं थे. उनका प्लान फेल नहीं होता, तो सिंधिया को बीजेपी में लाने की जरूरत ही नहीं पडती. इस पर्दे के पीछे की कहानी को मेरी आने वाली किताब ‘वो सत्रह दिन, कहानी कमलनाथ सरकार गिरने और शिवराज सरकार बनने की’ में आप विस्तार से पढियेगा.
नरोत्तम अपनी मेहनत पर उपमुख्यमंत्री का पद चाह रहे हैं. इसमें उनको सिंधिया का सपोर्ट मिल रहा है. सिंधिया, गोविंद सिहं राजपूत या फिर तुलसी सिलावट को भी उपमुख्यमंत्री बनवाकर शिवराज सरकार में अपना दबदबा बनाये रखना चाहते है.
ये कुछ सवाल हैं जिनके जबाव नहीं मिल पा रहे हैं और शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार आज नहीं हो रहा. कब होगा, इसका जवाब एक बार फिर भविष्य के गर्भ में है.
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