भोपाल: मध्य प्रदेश में हिन्दू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने पर पार्टी के कई नेताओं ने विरोध जताया है. चौरसिया को कांग्रेस में शामिल करने का विरोध करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ बापू हम शार्मिदा हैं.’’
यादव ने कहा, ‘‘पार्टी कहां जा रही है? पार्टी को मजबूत करने के नाम पर गोड़से के अनुयायी को शामिल करने की जरुरत क्यों है? हम इस फैसले पर शर्मिदा हैं.’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से गांधीजी की विचारधारा के लिये लड़ी और अब उन लोगों को शामिल कर रही है जिन्होंने उस विचारधारा को मार डाला और ग्वालियर शहर में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया था.
हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया के पार्टी में शामिल होने पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कौन है बाबूलाल चौरसिया?
वहीं दिग्विजय सिंह के भाई और कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने कहा कि गोडसे के उपासकों के लिए सेंट्रल जेल उपयुक्त स्थान है, कांग्रेस पार्टी नहीं. गृह मंत्रालय भी गोडसे समर्थकों की गतिविधियों पर नजर रखे तो उचित होगा.
ग्वालियर नगर निगम के पार्षद बाबूलाल चौरसिया ग्वालियर में कुछ साल पहले हिन्दू महासभा के कार्यालय में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रतिमा की स्थापना कार्यक्रम में शामिल होकर चर्चा में आए थे.
लगभग छह साल पहले कांग्रेस छोड़ चुके चौरसिया गुरुवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ की मौजूदगी में दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए हैं. चौरसिया की कांग्रेस में वापसी प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले हुई है.
कमलनाथ की सफाई
कांग्रेस के प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कमलनाथ की ओर से एक बयान जारी किया इसमें उन्होंने चौरसिया को पार्टी में शामिल करने के निर्णय को सही ठहराया और चौरसिया को गोडसे का पुजारी बताये जाने पर बीजेपी की आलोचना की.
उन्होंने कहा, ‘‘ चौरसिया ने गोडसे की हिंसा की विचारधारा को छोड़ दिया है और गांधी जी की सत्य और अहिंसा की विचारधारा पर चलने का फैसला किया है. जब वो हिंदू महासभा में थे, बीजेपी की विचारधारा से जुड़े थे, तब वो गोडसे की विचारधारा को मानते थे, आज वो कांग्रेस में आ गये तो उन्होंने गांधी जी की विचारधारा को अपना लिया है.’’
कांग्रेस में फिर से शामिल होने के अपने फैसले का बचाव करते हुए चौरसिया ने कहा, ‘‘ हिंदू महासभा ने मुझे स्थानीय निकाय चुनाव (ग्वालियर नगर निगम) के लिये टिकट दिया और मैं वार्ड -44 से पार्षद चुना गया. इससे पहले मैं लगभग 20 साल तक एक कांग्रेसी था और एक दफा पार्षद भी चुना गया था. इसलिये कांग्रेस में शामिल होना मेरे लिये ‘‘घर वापसी ’’ जैसा है.’’