भोपाल: मध्य प्रदेश में सियासी घमासान जारी है. अब कांग्रेस के चीफ व्हिप गोविंद सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने अपनी अर्जी में कहा कि 15 कांग्रेस विधायकों को जबरन कर्नाटक में रखा गया है. सभी विधायकों की मौजूदगी के बिना फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता है. अगर 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है तो पहले उनकी सीट पर दोबारा चुनाव हो.
कांग्रेस पार्टी ने अनुरोध किया कि केन्द्र, कर्नाटक सरकार और मध्य प्रदेश बीजेपी द्वारा उसके विधायकों को ‘गैरकानूनी तरीके से बंधक’ बनाया गया घोषित किया जाए.
याचिका में कांग्रेस ने विधायकों से संपर्क कराने के लिये केन्द्र और कर्नाटक सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया. बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 22 कांग्रेस विधायक करीब एक सप्ताह से बेंगलुरु के एक होटल में हैं. कांग्रेस का दावा है कि इनमें से 15 विधायक ऐसे हैं जिन्हें बीजेपी ने जबरन होटल में रखा है. सत्तारूढ़ दल का कहना है कि जब तक ये विधायक वापस भोपाल नहीं लौटते हैं फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता है.
वहीं बीजेपी लगातार फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है और आज भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल से मुलाकात की. मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने दो बार मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कहा है.
इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी की याचिका पर सुनवाई हुई और अदालत ने कमलनाथ सरकार से जवाब मांगा. शिवराज सिंह चौहान और 9 बीजेपी विधायकों ने याचिका दायर कर कहा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपने 22 विधायकों के इस्तीफे के चलते बहुमत खो चुकी है, लेकिन बहुमत परीक्षण से बचने की कोशिश कर रही है.
दरअसल, 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने का एलान किया था और वह इसके अगले दिन बीजेपी में शामिल हो गए थे. सिंधिया के प्रति 22 कांग्रेस विधायकों ने अपना समर्थन जताया और इन्होंने इस्तीफा दे दिया. विधानसभा स्पीकर ने 22 में से छह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया है.
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