BJP Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में अगले वर्ष चुनाव को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी अब प्रदेश में इलेक्शन मोड पर आ गई है. चुनावों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के विकास के लिए मध्य प्रदेश आरएसएस और बीजेपी की समन्वय बैठक आज तकरीबन तीन घंटे तक चली. यह बैठक आरएसएस-सरकार और संगठन में समन्वय के लिए बुलाई गई थी. बैठक में प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और सामूहिक नेतृत्व तक की बातें पर चर्चा की गई. 


दिल्ली के 11 अशोक रोड पर मध्य प्रदेश बीजेपी की आरएसएस-सरकार-संगठन समन्वय की बैठक बुलाई गई थी. बैठक में आरएसएस की ओर से सहकार्यवाह अरुण कुमार शामिल हुए. वहीं एमपी के आरएसएस की दृष्टि से तीन प्रांतों के अलग-अलग प्रमुख अशोक अग्रवाल, यशवंत और जयेश मौजूद थे. इस दौरान आरएसएस के सहकार्यवाह अरुण कुमार ने प्रदेश में इशारों-इशारों में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगाने की बात कही.


आरएसएस पदाधिकारियों ने संगठन में विस्तार की जताई आवश्यकता


वहीं आरएसएस के नेताओं ने इस बैठक में साफ कहा कि हमारी लड़ाई कांग्रेस से है लेकिन कांग्रेस के पीछे PFI, भीम आर्मी जैसे संगठन भी हैं. इसलिए मौजूदा परिस्थिति में संगठन विस्तार की भी आवश्यकता है और इस दिशा में लगातार काम करने की जरूरत है. इस दौरान देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी बैठक में  मौजूद थे. उन्होंने कहा कि चुनौतियां कई हैं, इन चुनौतियों में सामूहिक नेतृत्व और फैसले लेते वक्त सभी को इसमें शामिल करने की आवश्यकता है.


वहीं प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने संगठन के विस्तार का खाका और प्रदेश में 2023 में होने वाले चुनावों की योजना भी बताई है. इस दौरान कैलाश विजयवर्गीय ने 2023 के मद्देनजर आदिवासी और अनुसूचित जाति में नेतृत्व विस्तार की ज़रूरत भी बताई. उन्होंने कहा कि इस वर्ग से नए और युवा नेतृत्व को खड़े करने की ज़रूरत है.


बैठक में जेपी नड्डा भी थे मौजूद


वहीं इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि सरकार में पारदर्शिता जरूरी है. संगठन के विस्तार के साथ-साथ सरकार और संगठन में समन्वय की जरूरत है. नड्डा ने कहा कि ऐसी बैठक बेहतर समन्वय के लिए महीने-दो महीने में होती रहनी चाहिए.


मध्य प्रदेश आरएसएस-सरकार-संगठन समन्वय की इस बैठक में 2023 विधानसभा चुनाव के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति पर फोकस बढ़ाना तय हुआ, साथ ही एससी/एसटी वर्ग में नए नेतृत्व को उभारने की ज़रूरत पर बल दिया गया. 


आरएसएस और सरकार में समन्वय बढ़ाने पर दिया गया जोर


केंद्र और राज्य सरकार की लाभकारी और कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकार और संगठन के बीच समन्वय को बढ़ाने और चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए इस तरह की समन्वय बैठक दो से तीन महीने में करने पर बात तय हुई है.


माना जा रहा था कि शिवराज सिंह की कार्य पद्धति पर इस बैठक में हमले हो सकते है लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे को छोड कर किसी ने भी उन पर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाए. आरएसएस के ज़्यादातर नेता भी बैठक में मौन रहे और सामने रखे गए तथ्यों को सुनते रहे.


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