मध्य प्रदेश: कोरोना मरीज़ों का इलाज कर रहे डॉक्टर की संक्रमण से मौत, पिता बोले- सरकारी लापरवाही के चलते खो दिया बेटा
अस्पताल के प्रबंधन का दावा है कि जब उन्हें यहां भर्ती किया गया तब उनके नब्बे फ़ीसदी फेफड़े काम नहीं कर रहे थे, जिसके कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका.
भोपाल: मध्य प्रदेश में एक और कोरोना योद्धा की दुखद मौत हो गई है. सागर स्थित बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर शुभम उपाध्याय ने इलाज के दौरान भोपाल के चिरायु अस्पताल में दम तोड़ दिया. शुभम के फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था और उन्हें इलाज के लिए चेन्नई नहीं ले जाया जा सका.
सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में शुभम पिछले छह महीने से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे. इसी दौरान वो भी संक्रमित हो गये थे. डॉ उपाध्याय ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से मार्च 2020 में डिग्री पूरी की और उन्हें सागर के कोविड सेंटर में ही पहली नियुक्ति मिली थी. 28 अक्टूबर को शुभम वायरस से संक्रमित हुए. कुछ दिनों तक उनका वहीं इलाज चला. तबीयत बिगड़ने पर 10 नवंबर को उन्हें भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया था.
अस्पताल के प्रबंधन का दावा है कि जब उन्हें यहां भर्ती किया गया तब उनके नब्बे फ़ीसदी फेफड़े काम नहीं कर रहे थे, जिसके कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका. शुभम के दोस्तों ने उनके लिए फंड भी जुटाया था. शिवराज सरकार भी देर से जागी और शुभम की मौत के एक दिन पहले ही उनके इलाज के लिए एक करोड़ की मदद का वादा किया था. मगर दोनों अस्पतालों में हुई देरी का ख़मियाज़ा युवा डाक्टर को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ा.
सागर के केसली क़स्बे के रहने वाले शुभम बेहद होनहार थे, अब उनके परिवार के लोग दुखी और हताश हैं. शुभम के पिता सुदामा उपाध्याय का कहना है कि हमने अपना बेटा सरकारी लेट लतीफ़ी और लपरवाही के चलते खो दिया. यदि सरकार पहले जाग जाती और उसे भोपाल से बाहर इलाज के लिए ले जाती तो वो बच जाता. व्यापम के व्हिसल ब्लोअर डाक्टर आनंद रई कहते हैं कि एक डाक्टर हज़ारों लोगों की ज़िंदगी बचाता है, मगर हैरान हूं कि ये सरकार उसकी जान ना बचा सकी. शुभम असली क़ोरोना वरियर है. उनके परिवार को अब मदद मिलनी चाहिए.
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