भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. सत्ता बचाने के लिए मंगलवार देर शाम हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कई अहम निर्णय हुए, इसके बाद अब कांग्रेस ने अपने विधायकों को भोपाल से राजस्थान की राजधानी जयपुर भेजने की तैयारी कर ली है ताकि वो हॉर्स ट्रेडिंग से बचे रहें.


अबतक 22 विधायक छोड़ चुके हैं कांग्रेस का दामन


कांग्रेस के फ्रंट लाइन लीडर ज्योतिरादित्य सिंधिया अब कांग्रेस से अलग हो चुके हैं. सिंधिया के गुट के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी अपना पद छोड़ दिया है. इसके चलते अब मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. कांग्रेस के प्रदेश में 114 विधायक थे. जिनमें से 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब 92 विधायक रह गए हैं.


कमलनाथ का दावा प्रदेश में सरकार सेफ


मध्यप्रदेश में चल रही तमाम सियासी उठापटक के बीच सीएम कमलनाथ ने विधायक दल की बैठक के बाद के दावा किया है कि सरकार को कोई संकट नहीं है, कार्यकर्ता बिल्कुल चिंता ना करें. एमपी में सरकार आने वाले पूरे पांच साल तक चलेगी. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में हमारे विधायकों को बंधक बनाया गया है, वो संपर्क में हैं और फ्लोर पर हम अपनी ताकत दिखाएंगे.


विधायकों को छुड़ाने सीनियर मंत्री हुए रवाना


मध्य प्रदेश सरकार के सीनियर मंत्री सज्जन सिंह वर्मा संगठन में गहरी पकड़ रखते हैं. बीजेपी के नेताओं से संपर्क में कांग्रेस के 22 विधायक अभी बेंगलुरु में मौजूद हैं, वहीं इन विधायकों को वापस लाने की जिम्मेदारी सीएम कमलनाथ ने सज्जन वर्मा को सौंपी है, जो बेंगलुरु के लिए रवाना हो गए हैं. अगर यह 22 विधायक कांग्रेस के पक्ष में आ जाते हैं तो फिर सरकार पर मंडरा रहा संकट टल जाएगा. वहीं बीजेपी और कांग्रेस से बगावत करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुसीबतें बढ़ जाएंगी. हालांकि अभी इन 22 विधायकों में से कितने कांग्रेस में वापसी करेंगे यह साफ नहीं हो सका है.


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