भोपाल: मध्य प्रदेश में कोरोना से जान गंवाने वालों के परिजन एक नई समस्या से दो-चार हो रहे हैं. इन परिवारों को स्थानीय निकायों की तरफ से जो मृत्यु प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं, उनमें मौत का कारण कोरोना नहीं लिखा जा रहा. जिससे ये परिवार सरकार को भविष्य में ये बताने में असमर्थ होंगे कि उनके परिजन की मृत्यु कोरोना वायरस के कारण हुई है. सरकार कोरोना से मरने वालों के परिजनों के लिए अनेक योजनाओं का ऐलान कर रही है लेकिन ये सब कैसे उस योजना का फायदा उठा पाएंगे, जिसके कारण दुविधा बनी हुई है.
भोपाल के त्रिलंगा में अपने चाचा के पास रहने वाला छात्र हनुशीष दसवीं कक्षा में पढ़ता है. पिछले कुछ दिन उसकी जिंदगी के सबसे बुरे दिन थे. पहले उसके पिता गिरीश डहरिया सिवनी में कोविड के शिकार हुए, उसके बाद उनको भोपाल लाया गया लेकिन 18 अप्रैल को उन्होंने दम तोड़ दिया. इस बीच में हनुशीष की मां दिव्या भी कोरोना की चपेट में आ गयीं और उनका उपचार सिवनी के सरकारी अस्पताल में हुआ. हालांकि उनकी भी 19 अप्रैल को मौत हो गई.
नहीं दिया कोरोना लिखा प्रमाणपत्र
कुछ दिनों में ही मां बाप को खोने वाले हनुशीष की परेशानियों का अभी अंत नहीं हुआ था. उसकी मां का मृत्यु प्रमाण पत्र सिवनी अस्पताल से मिल नहीं रहा और भोपाल नगर निगम ने उसके पिता के प्रमाणपत्र में मृत्यु का कारण कोरोना नहीं लिखा. हनुशीष डहरिया कहता है कि उसे ये मदद नहीं मिली तो जिंदगी जीना कठिन हो जाएगा. कुछ दिनो में ही मां बाप को खोने वाला हनुशीष अब अपने दादा-दादी के साथ भोपाल में ठहरा हुआ है. उसे अपने भविष्य की चिंता सता रही है.
सरकार चला रही कई योजना
केंद्र और राज्य सरकार ने अनाथ बच्चों के कल्याण के लिए जो योजना चलाई हैं, उनका फायदा उसे मिल सकता है लेकिन उसके लिए मां बाप के मृत्यु प्रमाणपत्र में कोरोना से मृत्यु लिखा होना जरूरी है वरना वो निराश्रित ही रह जाएगा. उधर मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के लिए मुख्यमंत्री कोविड बाल सेवा योजना लागू की है. जिसके पहले चरण में रविवार को 130 परिवारों के 173 बच्चों के खातों में पांच हजार रुपये डाले गए.
ये सहायता इन बच्चों को हर महीने मिलेगी. इनकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा भी सरकार उठाएगी. इसके अलावा कोरोना से मरने वालों के परिजन को एक लाख रुपये भी राज्य सरकार देगी लेकिन प्रमाणपत्र पर मौत का कारण कोरोना नहीं लिखा होगा तो ये फायदा मिलना मुश्किल होगा. कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं कि सरकार कुछ दिनों में उस योजना पर काम कर रही है, जिसमें ऐसे किसी प्रमाणपत्र की जरूरत रह नहीं जाएगी. इसलिए अनाथ बच्चे और लोग किसी प्रमाणपत्र की चिंता ना करें.