नई दिल्ली: 16 मार्च को सुबह मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र बुलाया गया है. सबसे पहले राज्यपाल लालजी टंडन का अभिभाषण होगा, लेकिन विधानसभा की कार्यसूची में राज्यपाल अभिभाषण के बाद विश्वास मत प्रस्ताव का जिक्र नहीं है. बता दें राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को खत लिखकर 16 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा स्थगित नहीं करने और विश्वास मत प्रस्ताव पर चर्चा कराकर मतदान कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन विधानसभा से जारी किए गए विधानसभा की कार्यसूची के पत्र में राज्यपाल के अभिभाषण का तो जिक्र है, लेकिन विश्वास मत प्रस्ताव को लेकर इस पत्र में कोई भी सूचना नहीं दी गई है.
बीजेपी नेता लोकेंद्र पाराशर ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया, "हम बेहद आश्चर्य में हैं कि विधानसभा की कार्यसूची में विश्वास मत प्रस्ताव का जिक्र तक नहीं है, जबकि राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश दिया था कि राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विश्वास मत प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान कराया जाए."
विधानसभा की कार्यसूची सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास पर इस मसले पर बैठक भी हुई है, वहीं कांग्रेस के बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सूचना दी है. कांग्रेस के 16 बागी विधायकों ने खत लिखकर विधानसभा अध्यक्ष को कहा, "मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था खराब, प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुत होना संभव नहीं, उनकी अनुपस्थिति में ही त्यागपत्र स्वीकार किया जाए."
कांग्रेस के बागी 16 विधायकों ने जिनके त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने अभी तक स्वीकार नहीं किए, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को खत लिखकर कहा है, "माननीय विधानसभा अध्यक्ष. जैसा कि आपको पूर्व में भी अनुरोध किया है और आपको विदित है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है और अनिश्चितता के इस वातावरण में मेरा आपके समक्ष उपस्थित होना संभव नहीं है. इसलिए आप मेरा विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र उन छह विधायकों जिनका त्यागपत्र आपने 14 मार्च 2020 को स्वीकार किया है, उनकी तरह ही मेरा त्यागपत्र भी स्वीकार करें"
सभी 16 विधायकों के इसी भाषा के पत्र पर हस्ताक्षर हैं. आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष ने कमलनाथ की सरकार में उन छह मंत्रियों के इस्तीफे विधानसभा की सदस्यता से स्वीकार कर लिए हैं, जो बागी होकर बेंगलुरु चले गए थे, बेंगलुरु में अभी तक कांग्रेस के बागी कुल 22 विधायक हैं, सभी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने कल सिर्फ 6 विधायकों की ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे स्वीकार किए हैं.
ऐसे समय में जब 16 मार्च से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है और राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को आदेश दिया है कि 16 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा का सत्र स्थगित नहीं किया जाए और केवल विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करके इस पर मतदान किया जाए, तब विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है.
उधर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक बार फिर विश्वास मत में अपनी जीत को लेकर भरोसा जताया है.आपको बता दें विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं उसमें से 22 विधायक बागी होकर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु चले गए हैं इस तरह से अब कांग्रेस के पास 92 विधायक ही बचे हैं. उसे चार निर्दलीय विधायकों, दो बहुजन समाज पार्टी के विधायकों और एक समाजवादी पार्टी के विधायक का समर्थन हासिल है. इस तरह कमलनाथ के पास कुल विधायकों की संख्या 99 हो जाती है. 2 विधायकों की मृत्यु हो जाने से विधानसभा की सदस्य संख्या 228 रह गई थी. 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेने से विधानसभा की प्रभावी सदस्य संख्या 222 रह जाती है, लेकिन जैसा कि विधायकों ने पत्र लिखकर विधानसभा अध्यक्ष को सूचित किया है, अगर वह 16 विधायक विधानसभा में विश्वास मत के दौरान नहीं आते हैं तो ऐसे में विधानसभा की सदस्य संख्या 206 रह जाती है ऐसे में बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी कांग्रेस के पास 99 विधायकों का ही समर्थन है, जबकि बीजेपी के पास 107 विधायकों का समर्थन है. ऐसे में साफ है विश्वास मत के दौरान कमलनाथ सरकार का टिक पाना मुश्किल है.
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