दमोह: मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में जहां बाढ़ के हालात बने हुए हैं, तो सूबे के कई जिले भीषण सूखे की चपेट में भी हैं और ये सूखा अब लोगों से तरह-तरह के जतन करा रहा है. प्रदेश के दमोह से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जो कुप्रथा की बानगी तो हैं ही, साथ ही अमानवीयता को भी दर्शाती हैं. यहां छोटी-छोटी बच्चियों को नग्न कर उन्हें मूसल देकर पूरे गांव में घुमाया गया. यहां ये करने वाला कोई और नहीं बल्कि उनके ही परिवार की महिलाएं माएं और आस पड़ोस के लोग हैं.
दरअसल पूरा मामला कुछ इस तरह से है. जिले के जबेरा ब्लॉक के अमदर पंचायत के बनिया गांव में बारिश न होने की वजह से लोग परेशान है. सूखे को देखते हुए पुरानी मान्यता के मुताबिक गांव की छोटी-छोटी बच्चियों को पूर्ण नग्न कर उनके कंधों पर मूसल रखा जाता है और इस मूसल में मेंढक को बांधा जाता है. बच्चियां पूरे गांव में घूमती हैं और पीछे-पीछे महिलाएं भजन कीर्तन करती जाती हैं. रास्ते मे पड़ने वाले घरों से ये महिलाएं आटा दाल मांगती हैं और जो राशन जमा होता है उस राशन से गांव के मंदिर में भंडारा होता है.
परंपरा के नाम पर अंधविश्वास!
मान्यता है कि ऐसा करने से बारिश होती है. इसी कुप्रथा को एक बार फिर अंजाम दिया गया और बनिया गांव में प्रथा के नाम पर मासूम बच्चियों के साथ ये सलूक भी किया गया. इस पूरे मामले पर जिले के पुलिस कप्तान डी आर तेनिवार का कहना है कि ये एक परंपरा है जो अंधविश्वास भी कही जा सकती है जिसमें सहमति से बच्चों से ये सब कराया जाता है. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है यदि किसी बच्चे को जबरन ऐसा करने के लिए बाध्य किया गया है तो पुलिस कार्रवाई करेगी.
कलेक्टर ने शुरू की जांच, कहा- दोषियों पर होगी कार्रवाई
दमोह में बारिश के लिए टोटकों का सहारा और मासूम बच्चियों को निर्वस्त्र घुमाए जाने के मामले में राष्ट्रीय बाल सरंक्षण एवं अधिकार आयोग के दिशानिर्देशों के बाद कलेक्टर दमोह ने जांच शुरू कर दी है. कलेक्टर एस कृष्ण चैतन्य के मुताबिक आयोग से कल ही निर्देश मिले गए थे जिसके बाद जांच शुरू की गई है. इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई होगी. कलेक्टर के मुताबिक इस तरह की कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा.
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