MP Election 2023: मध्य प्रदेश में दलित वोटरों पर घमासान, जानें बीजेपी और कांग्रेस का क्या है प्लान?
Madhya Pradesh Politics: मध्य प्रदेश में चुनाव चार महीने बाद हैं. राज्य में दलितों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी की सत्रह से अठारह प्रतिशत है.
Madhya Pradesh Election: मध्य प्रदेश में दलित राजनीति उफान पर है. दलित वोटरों को साधने के लिए बीजेपी ने संत रविदास का मंदिर बनाने और समरसता यात्राएं निकालने की ठानी है तो कांग्रेस का दावा है कि दलित वोटरों को लेकर वह बीजेपी के पाखंड को समझती है. तीन बार घोषणाएं करने के बाद भी संत रविदास का मंदिर नहीं बनाया और अब चुनाव के पहले दलित याद आ रहे हैं.
मध्य प्रदेश के सभी अखबार मंगलवार यानी (25 जुलाई) को संत रविदास के फोटो और उनकी याद में निकाली जाने वाली समरसता यात्राओं से अटे पड़े हैं. बीजेपी प्रदेश के चार दलित बहुल आबादी वाले जिलों से समरसता यात्राएं निकाल रही है. इन यात्राओं की समाप्ति पर सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आएंगे और दलितों के विशाल सम्मेलन को संबोधित करेंगे.
पिछले चुनाव में बीजेपी ने जीती थीं 17 सीटें
मध्य प्रदेश में चुनाव चार महीने बाद हैं और बीजेपी आदिवासी वोटरों के बाद अब दलित वोटरों को लुभाने निकली है. राज्य में दलितों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी की सत्रह से अठारह प्रतिशत है. यानी कि करीब 64 लाख दलित वोटर हैं, जिनके लिए 230 विधानसभा की सीटों में से 35 सुरक्षित सीटें हैं. इनमें से पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 18 सीटें तो बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं.
कमलनाथ की सरकार गिरी तो चार एससी विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा. यानी कि अभी 21 दलित विधायक बीजेपी के पाले में है. आमतौर पर दलित वोटर बीएसपी के माने जाते हैं, मगर पिछले चुनाव में बीएसपी के दो विधायक सामान्य सीटों पर जीते. बीजेपी के वोटों का बंटवारा कांग्रेस के फायदे में होता है, यह बीजेपी जानती है.
12 अगस्त को प्रधानमंत्री का सागर में है दौरा
मध्य प्रदेश के दस से पंद्रह जिलों में दलित आबादी अच्छी संख्या में है और चुनाव परिणामों पर सीधा असर डालती है, इसलिए बीजेपी इस बार ज्यादा से ज्यादा दलित सीटों पर अपने संगठन और कामकाज का प्रचार प्रसार कर उनको जीतना चाहती है.
मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोट प्रतिशत तकरीबन बराबर ही रहता है. कुछ सीटों के हेरफेर से ही सरकार बनती-बिगड़ती है. इसी वजह से बीजेपी दलितों को साधने के लिए संत रविदास का बड़ा मंदिर सागर जिले में बनवाकर दलित हितैषी बनना चाहती है. उधर कांग्रेस भी अपने दलित चेहरे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का सागर और बुंदेलखंड में दौरा कराना चाहती थी. 13 तारीख को उनका आना तय था मगर 12 को सागर में प्रधानमंत्री का दौरा तय होने के बाद खरगे का दौरा टल गया है, जिससे कांग्रेस के लोग आग बबूला हैं.
क्या है बीजेपी को उम्मीद?
प्रधानमंत्री मोदी के सागर आने से बीजेपी को उम्मीद है कि वो दलित वोटरों के समझा पाएगी कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दलित विरोधी हिंसा से पार्टी ने सबक लिया है और अब दलितों के उत्थान में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी.
बीजेपी की चिंता यही है कि बीएसपी के कमजोर पड़ने से दलित वोटरों का सीधा फायदा कांग्रेस को होता है. इसी वजह से बीजेपी चुनाव तक लगातार दलितों के बीच आयोजन कर उनको अपने पाले में करने के लिए जी जान लगा रही है. इसके उलट कांग्रेस मानकर चल रही है कि दलित कांग्रेस पार्टी के परंपरागत वोटर हैं और रहेंगे.
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