Madhya Pradesh Election 2023: मध्‍य प्रदेश चुनाव में सभी राजनीत‍िक दलों ने प्रचार-प्रसार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. चुनाव आयोग भी अपनी पूरी तैयारी कर चुका है. इस बीच अब ऐसे व‍िधानसभा क्षेत्र या इलाके भी सामने आ रहे हैं, जहां सालों से व‍िकास नहीं हुआ. अलग-अलग दलों की सरकारें आईं और चली गईं, लेक‍िन लोगों को मूलभूत सुव‍िधाएं नहीं म‍िल पाईं.


ऐसा ही एक इलाका अलीराजपुर व‍िधानसभा (अनुसूचित जनजाति आरक्ष‍ित) का झंडाना गांव है, जहां पर चुनाव अध‍िकार‍ियों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) ले जाने के ल‍िए नाव पर सवार होकर जाना पड़ेगा. गांव में बने पोल‍िंग स्‍टेशन तक आने जाने को कोई सड़क मार्ग नहीं है. 


न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताब‍िक स्थानीय लोगों ने गुरुवार (9 नवंबर) को बताया कि अलीराजपुर विधानसभा अंतर्गत इस गांव में करीब एक हजार लोग रहते हैं. इनमें से 763 पंजीकृत मतदाता भी हैं, लेकिन यहां पर अभी तक किसी भी उम्मीदवार ने आने की जहमत नहीं उठाई है. यहां पर वोट‍िंग सेंटर ग्राम पंचायत भवन में बनाया गया है. यह गांव एमपी के पड़ोसी राज्य गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर से घिरा हुआ है. 


बताया जाता है क‍ि झंडाना गांव का अधिकांश हिस्सा सालों पहले पानी में डूब गया था. बावजूद इसके यहां का आदिवासी समाज यहां से जाने को तैयार नहीं है. भले ही उनको मोटर योग्य सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के बिना ही क्‍यों ना गुजर बसर करना पड़ रहा हो. 


अलीराजपुर जिला HQ से 60 किमी दूर है गांव 
हैरान और परेशान करने वाली बात यह कि यह गांव अलीराजपुर जिला मुख्यालय से बमुश्किल 60 किमी की दूरी पर स्‍थ‍ित है, लेकिन विकास और बुनियादी ढांचे के मामले में यह दशकों पीछे नजर आता है. यहां पर चुनाव होने के संकेत भी स‍िर्फ इसल‍िए नजर आ रहे हैं क्योंक‍ि कुछ घरों पर राजनीतिक दलों के झंडे लगे हैं. इस इलाके में अधिकांश लोग स्थानीय भाषा 'भीली' बोलते हैं.  


'बीमार व्‍यक्‍त‍ि को अस्‍पताल ले जाने को नाव का सहारा'  
23 साल की ग्राम निवासी वंदना ने कहा, "यहां पर आने जाने के ल‍िए सड़कें नहीं हैं. इसल‍िए हमें बाहरी दुनिया से जुड़ने के लिए नावों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में उस वक्‍त ज्‍यादा परेशानी होती है, जब कोई बीमार हो जाता है और मरीज को पास के अस्‍पताल ले जाने के ल‍िए नाव का सहारा लेना पड़ता है. 


'रोजगार की तलाश में अध‍िकांश लोग गुजरात गए' 
10वीं कक्षा तक पढ़ी महिला ने कहा कि यहां बार‍िश के बाद जीना बहुत मुश्‍क‍िल होता है. बारिश के वक्‍त यहां बैकवाटर का स्तर बढ़ जाता है. यहां से अध‍िकांश लोग रोजगार की तलाश में गुजरात चले गए हैं. विडंबना यह है कि बैकवाटर से घिरे इस गांव में पीने का पानी का बेमुश्‍किल ही म‍िल पाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्मियों में स्थिति और भी खराब हो जाती है. 


'पथरीला इलाके में बोरवेल से भी नहीं आया पानी'  
35 वर्षीय मछुआरे प्रेम सिंह सोलंकी ने कहा, " नेताओं ने पिछले चुनावों में घरों में पीने का पानी उपलब्ध कराने का वादा किया था, लेकिन अब तक वादा पूरा नहीं हुआ है. यहां इंसानों और मवेशियों दोनों के लिए पानी की कमी है. ग्रामीणों ने कुछ समय पहले बोरवेल लगाने की कोशिश की थी, लेकिन पहाड़ी इलाके के पथरीला होने की वजह से बोरवेल में पानी नहीं आया. 


'लोगों को चलना पड़ता है करीब 5 किमी पैदल'  
अलीराजपुर कलेक्टर अभय अरविंद बेडेकर का कहना है क‍ि गांव के लिए वैकल्पिक भूमि मार्ग है, लेकिन लगभग 5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. ग्रामीण कंक्रीट सड़क की मांग कर रहे हैं लेकिन इसको फॉरेस्‍ट लैंड से होकर न‍िकालना होगा. इसको लेकर वन व‍िभाग के साथ पत्र व्‍यवहार क‍िया गया है. व‍िभागीय मंजूरी के बाद सड़क योजना के तहत गांव में कंक्रीट सड़क बनाई जाएगी. 


कांग्रेस के मौजूदा MLA फ‍िर से चुनावी मैदान में डटे 
 उधर, कलेक्टर का कहना है क‍ि प्रशासन आपात स्थिति में ग्रामीणों को नजदीकी अस्पताल ले जाने के लिए मोटरबोट तैयार रखता है. सत्तारूढ़ बीजेपी की ओर से अलीराजपुर निर्वाचन क्षेत्र से नागर सिंह चौहान को मैदान में उतारा गया है जबकि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मुकेश पटेल को ही टिकट दिया है. 


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